…तो क्या जदयू के विदुर ने नीतीश को दी थी गठबंधन तोड़ने की सलाह!

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…तो क्या सियासी घटनाक्रम को डबल स्टैंड बता जदयू के विदुर ने नीतीश को दी थी गठबंधन तोड़ने की सलाह!

बिहार चुनाव को लेकर एनडीए में मचे घमासान से जदयू के टॉप बैट्समैन काफी परेशान हैं। विदित हो कि लोजपा सुप्रीमों जिस तरह का रूख नीतीश के प्रति अपनाए हुए हैं, उससे जदयू नेताओं को अंदर-अंदर लग रहा है कि नीतीश कुमार की छवि को काफी नुकसान हो रहा है। वहीं, लोजपा के आक्रमक चाल को जदयू के एक बड़े नेता ने सोची-समझी रणनीति का हिस्सा बताया।

दरअसल, नीतीश कुमार के खास सिपहसालार पार्टी के वरिष्ठ नेता तथा कोशी क्षेत्र के बड़े नेता विजेंद्र यादव पार्टी के खेवनहार के सामने बुरी तरह से भड़क गए थे। हुआ यूं था कि उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में बुलाया गया था। जहां उन्हें जदयू द्वारा चयनित सीटों तथा उम्मीदवारों की सूची दी गई और कहा गया कि एक बार आप देख लीजिए, फिर जैसा आप कहिएगा वैसा होगा।

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जदयू के अन्य नेताओं द्वारा इस तरह की बातें सुनते ही विजेंद्र यादव काफी भड़क गए और उन्होंने झल्लाकर कहा कि ‘आपके कहने का क्या मतलब, जब आप सबकुछ तैयार कर लिए हैं तो जारी कर दीजिए। वैसे भी आत्मसम्मान तो बचा नहीं जो कि आप कुछ करेंगे। अगर थोड़ा सा भी स्वाभिमान बचा है तो अकेले चुनाव लड़िये, फिर देखिएगा जो होना होगा वो होगा।

विजेंद्र यादव यहीं नहीं रुके, उन्होनें कहा कि आज मेरे नेता का साथ जो कुछ हो रहा है वो भाजपा आलाकमान के इशारे पर हो रहा है। अगर भाजपा आलाकमान चाहती तो कल का लड़का हमारे नेता का इस तरह अपमान नहीं कर सकता। और हाँ आपलोग को पार्टी के अंदर भाजपा का एजेंट कहा जाता है। लेकिन, इस मसले पर आपलोग भी चुप्पी साधे हुए हैं। इससे बेहतर तो यही होता कि अकेले चुनाव में उतरते। इस वाक्ये के दौरान बीच में ही जदयू के विदुर सूची को फेंक कर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए वहां से निकल गए।

दरअसल, विजेंद्र यादव की नारजगी का कारण यह बताया जाता है कि वे सुपौल के साथ-साथ मधेपुरा व सहरसा में भी कुछ विशेष चाहते थे। लेकिन, सुपौल छोड़कर उनकी कहीं नहीं चली, इस वजह से वे खासे नाराज हो गए थे। हालांकि, मामला बिगड़ता देख जदयू के कुछ बड़े नेताओं ने उनको किसी भी तरह मनाने में सफल रहे तथा अब उनकी नाराजगी दूर हो गई है।

मालूम हो कि विजेंद्र यादव जदयू के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। उनके बारे में कहा जाता है कि जब भी नीतीश कुमार संकट में होते हैं तो उन्हें याद करते हैं तथा मिलकर आगे की रणनीति तैयार करते हैं। इतना ही नहीं विजेंद्र यादव के बारे में कहा जाता है कि वे अपने क्षेत्र में प्रचार नहीं करते हैं। क्योंकि, उनका प्रचार उनके द्वारा क्षेत्र में किये जा रहे काम ही उनका प्रचार करती है।

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