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सितामढ़ी में मनाया गया किसान दिवस

पटना : किसान देश के अन्नदाता हैं। उनके द्वारा उपजाया अन्न खाकर ही पूरा समाज जीवित रहता है। यह किसान ही है जो धूप की तपिश सहता हुआ और बारिश में भींगता हुआ खेती करता है। उक्त बातें किसान दिवस के अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक और कृषि विशेषज्ञ अश्विन कुमार चंद्रवाल ने किसानों को संबोधित करते हुए कही। नीति आयोग के आकांक्षी जिला सीतामढ़ी में आईटीसी मिशन ‘सुनहरा कल’ द्वारा जन निर्माण केंद्र की पहल पर कृषि विकास कार्यक्रम के अंतर्गत यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। अश्विन कुमार चंद्रवाल ने किसानों को बताया कि देश के विभिन हिस्सों में नई तकनीक अपनाकर खेती की जा रही है। प्रकृति में हो रहे बदलाव के चलते आने वाले समय में खेती प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती है। इसका सबसे अधिक शिकार किसान ही होंगे। ऐसे में किसानों को नई तकनीक अपनानी होगी। इसके लिए हमलोग प्रशिक्षण भी देंगे। उन्होंने बताया कि जीरो टिलेज एक ऐसी ही तकनीक है जिसमे बहुत ही कम लागत में किसान अपनी खेती कर सकेंगे।
उन्होंने किसानों को समझाते हुए कहा कि जीरो टिलेज एक अत्यधुनिक तकनीक है और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि ज़मीन को बिना जोते हुए फसल उगाई जा सकेगी। सीतामढ़ी और आसपास के किसान जिस तरह से इसमें दिलचस्पी ले रहे हैं उससे यह तकनीक पॉपुलर हो जाएगी। आश्विन कुमार चंद्रवाल ने कहा कि आज किसान दिवस है और किसानों से मुद्दे पर चर्चा होना लाजिमी है। किसानों से जुड़़ी योजनओं—परियोजनाओं की जानकारी देने के उद्देश्य से आज का यह कार्यक्रम किया गया है। किसानों को आधुनिक तकनीक से रूबरू करवाने के साथ-साथ प्रशिक्षण की जानकारी देना भी आज के आयोजन का उद्देश्य है। जीरो टिलेज का पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया और अच्छा रेस्पॉन्स मिलने पर कई जगह इसका प्रयोग किया गया।
विशिष्ट अतिथि किसान सलाहकार श्याम सुंदर ने किसानों को धरती का भगवान कहते हुए उनको नमन किया व कहा कि बिहार में कृषि के क्षेत्र में बहुत काम करने की आवश्यकता है। आज किसान दिवस है और इस अवसर पर किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का संकल्प लेना चाहिए।किसान सम्पन्न होंगे तो देश सम्पन्न होगा। किसान खुशहाल होंगे तो देश खुशहाल होगा।
धन्यवाद ज्ञापन करते हुए आईटीसी सुनहरा कल के पर्यवेक्षक उज्ज्वल कुमार ने किसानों को किसान दिवस की बधाई दी और कहा कि देश के विकास में और बढ़ती इकोनॉमी में किसानों की भूमिका रीढ़ की हड्डी साबित होगी। जिस दिन किसान आत्मनिर्भर हो जायेंगे उसी दिन सही मायने मे देश को विकसित माना जायेगा।
मानस दुबे