पटना : सीट बंटवारे के ऐलान के बाद भी महागठबंधन में आल इज वेल नहीं है। सीट शेयरिंग तो हो गई, लेकिन उम्मीदवारी और कुछ खास सीटों को लेकर बिहार में महागठबंधन भीतरघात से जूझ रहा है। आइए जानते हैं क्या है इसकी वजह?
सुपौल में रंजीता रंजन का विरोध कर रहा राजद
महागठबंधन के तालमेल की लय को सबसे ज्यादा चुनौती दरभंगा और सुपौल सीट को लेकर मिल रही है। सुपौल में कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन का भारी विरोध हो रहा है। यह विरोध और कोई नहीं, बल्कि महागठबंधन की बड़ी पार्टी राजद कर रही है। राजद के इस विरोध की वजह से सुपौल लोकसभा सीट की लड़ाई दिलचस्प हो गई है। राजद के विधायक यदुवंश यादव महागठबंधन में रंजीता रंजन का खुलकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि पार्टी अगर उनकी विधानसभा की सदस्यता भी रद्द कर देती है तो भी वो रंजीता रंजन का विरोध करते रह्रेंगे।
मालूम हो कि रंजीता सुपौल सीट से कांग्रेस टिकट पर दो बार जीत चुकी है। लेकिन इस बार उनकी दावेदारी के विरोध में राजद कार्यकर्ताओं ने कल अपने स्थानीय पार्टी कार्यालय में आपात बैठक बुलाकर विरोध का झंडा खड़ा कर दिया। इस बैठक में सभी राजद नेताओं—कार्यकर्ताओं ने रंजीता रंजन और उनके पति पप्पू यादव के खिलाफ मोर्चा खोला। राजद विधायक यदुवंश यादव ने कहा कि यदि रंजीता रंजन को प्रत्याशी बनाया जाता है तो राजद भी उनके विरोध में अपना एक प्रत्याशी खड़ा करेगा। वहीँं पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रकाश यादव और भूपनारायण यादव ने कहा कि पार्टी के बड़े नेताओं को पहले ही कार्यकर्ताओं के मूड की जानकारी दे दी गयी थी कि रंजीता रंजन किसी भी परिस्थिति में मंजूर नहीं होंगी। उनका आरोप है कि रंजीता रंजन ने अपने कार्यकाल में सुपौल में राजद को काफी नुक्सान पहुंचाया।
दरभंगा में कांग्रेस और राजद आमने—सामने
दरभंगा सीट को लेकर भी महागठबंधन अभी तक सहज नहीं हो पाया है। नतीजतन यहां भी भीतरघात का डर हावी होने लगा है। इसे सुलझाने के लिए आज प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा राबड़ी आवास पहुंचे। बात भी हुई लेकिन मामला जस का तस।
दरभंगा सीट कांग्रेस छोड़ने को तैयार नहीं। राबड़ी आवास से निकलने के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा ने मीडिया से कहा भी कि दरभंगा कांग्रेस की सीट है। इसे कांग्रेस किसी हाल में नहीं छोड़ेगी। उधर राजद नेता भोला यादव ने भी दरभंगा सीट पर दावा ठोंकते हुए कहा कि दरभंगा राजद की सिटिंग सीट है। राजद यहां से अपना उम्मीदवार खड़ा करेगा। साफ है कि जिसे भी यहां से टिकट मिलेगा, उसे सहयोगी दलों का भरपुर समर्थन मिलेगा, इसकी गारंटी नहीं है।