बेगूसराय / बाढ़ : पावन कार्तिक माह शुरू होते ही सोमवार को सुबह से ही श्रद्धलुओं ने उत्तरवाहिनी गंगानदी में डुबकियां लगाकर पास के मंदिरों में पूजा – अर्चना की और श्रद्धालु कार्तिक महात्म्य को पढ़ने एवं सुनने में तल्लीन हो गये। कार्तिक माह में यहां गंगा किनारे तथा पास के ही सिमरिया घाट गंगा किनारे कल्पवास मेला की शुरुआत हो जाती है, जहां काफी दूर-दराज के से श्रद्धालु आकर पूरे माह गंगा स्नान कर पूजा-अर्चना करते हैं और कार्तिक महात्म्य सुनते हैं तथा व्रत भी रखते हैं,जिसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है।
कार्तिक माह के पहले दिन से लेकर पूर्णिमा तक अनवरत गंगा स्नान और पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बारह मास में कार्तिक मास को सबसे पवित्रतम एवं श्रेष्ठ महीना माना गया है। क्योंकि इस महीना में सारे देवी-देवताओं का पृथ्वी पर पदार्पण हो जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एक माह तक लगातार वे पृथ्वी पर ही रहते हैं। इस महीना को त्योहारों का महीना भी कहा जाता है। श्रीगणेश – लक्ष्मी पूजा, छठ पूजा, दीप पूजा, सूर्य पूजा, विष्णु पूजा जैसे कई पूजाउत्सव भी इसी माह में ही मनाया जाता है। पूरे कार्तिक माह में उत्तरवाहिनी गंगा के तट पर उत्तरायण गंगा में स्नान कर पूजा-पाठ करने और दीप प्रज्वलित कर गंगा में विसर्जन करने तथा अपने घरों या मंदिरों में दीप प्रज्वलित करने का धार्मिक महत्व होने के साथ ही इसका वैज्ञानिक महत्व भी है।
तीन माह के बरसात में जन्म लेने वाले छोटे-छोटे विषाणुओं जो मानव जीवन के लिये हानिकारक होते हैं,उस विषाणु का अंत भी इसी माह में होता है। क्योंकि इस माह में मनाया जाने वाला दीपोत्सव में सभी छोटे-छोटे विषाणुओं का अंत हो जाता है। इसीलिये पूरे माह खासकर महिलायें गंगा स्नान कर पूजा पाठ करती हैं और घी या तिल के तेल से दीपक जलाकर गंगा में प्रवाहित करती है,ताकि गंगा में रहने वाले छोटे-छोटे विषाणु का भी अंत हो जाये और मानव जीवन निरोग रहे। उत्तरायण गंगा के तट पर गंगा स्नान का इस महीना में इतना महत्व है कि लोग एक महीना के लिये काशी (बनारस), सिमरिया या बाढ़ के सुविख्यात उमानाथ मंदिर व घाट धाम पर रहकर पूरे कार्तिक माह के पूर्णिमा तक लगातार गंगा स्नान कर पूजा- पाठ करते एवं व्रत रखते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार इसी माह के पूर्णिमा को चातुर्य मास समाप्त होता है,जो आषाढ़ माह के पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक महीना के पूर्णिमा के दिन समाप्त होती है।
सत्यनारायण चतुर्वेदी,बाढ़ (पटना)