नयी दिल्ली : गांधी परिवार के तौर तरीकों ने देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी को दोफाड़ वाले दोराहे पर ला खड़ा किया है। पंजाब के घावों से कांग्रेस अभी कराह ही रही थी कि कई बड़े और वरिष्ठ नेता मुखर तौर पर गांधी—नहरू फैमिली का विरोध करने लगे। कपिल सिब्बल, नटवर सिंह, मनिष तिवारी के बाद ताजा हमला पूर्व गृहमंत्री और सीनियर कांग्रेसी पी चिदंबरम ने किया है। कैप्टन अमरिंदर के कांग्रेस छोड़ने के ऐलान से पार्टी में खलबली पहले से मची थी कि अब चिदंबरम ने कह दिया कि वह अपने आपको इस वक्त असहाय महसूस कर रहे हैं। तो क्या चिदंबरम, सिब्बल, मनिष तिवारी, गुलाम नबी सरीखे सीनियर लीडरों के खुलकर सामने आने और बयान देने से कांग्रेस में दोफाड़ की संभावना बढ़ गई है?
चिदंबरम ने ट्वीट में बयां किया दर्द
कांग्रेस के भीतर की कलह सामने आने के साथ यह भी सवाल उठने लगा है कि बिना स्थायी अध्यक्ष के पार्टी कैसे चल रही है और कौन चला रहा है? चिदंबरम ने अपने ट्वीट में लिखा है— ‘जब हम पार्टी के भीतर कोई सार्थक बातचीत नहीं कर पाते हैं तो मैं बहुत ही असहाय महसूस करता हूँ। मैं तब भी आहत और असहाय महसूस करता हूँ जब एक सहकर्मी और सांसद के आवास के बाहर कांग्रेस कार्यकर्ताओं के नारे लगाने वाली तस्वीरें देखता हूँ।’ चिदंबरम का इशारा सिब्बल के घर के बाहर कुछ गांधी परिवार भक्तों की कारगुजारी की तरफ है।
सिब्बल का विस्फोटक प्रेस कांफ्रेंस
दरअसल, कांग्रेस के भीतर असहमत सीनियर नेताओं का समूह- जी-23 है। इसमें कपिल सिब्बल, ग़ुलाम नबी आज़ाद से लेकर शशि थरूर तक हैं। बुधवार को कपिल सिब्बल ने एक विस्फोटक प्रेस कॉन्फ़्रेंस की और पूछा कि कांग्रेस का अभी कोई अध्यक्ष नहीं है तो पार्टी का फ़ैसला कौन ले रहा है। यही नहीं, इस समूह ने यह भी मांग की थी कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक बुलाई जाए ताकि पंजाब हो या पार्टी की कार्यप्रणाली का मामला, सब पर खुली बहस की जा सके।
दो गुटों में बंटी पार्टी, हिंसा का भी प्रयोग
इसके अगले दिन गुरुवार को कपिल सिब्बल को लेकर पार्टी के भीतर ही विवाद हो गया। एक तरफ गांधी—नेहरू परिवार भक्त तो दूसरी तरफ जी-23 के नेता। कांग्रेस नेता और लोकसभा सांसद मनीष तिवारी ने भी कपिल सिब्बल के घर के बाहर हुए विरोध-प्रदर्शन का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि पिछली रात कपिल सिब्बल के घर के बाहर हुई पूर्व-नियोजित गुंडई की मैं घोर निंदा करता हूँ। कपिल सिब्बल कांग्रेस के लिए लड़ रहे हैं आप उनकी बातों से असहज हो सकते हैं, लेकिन आप हिंसा नहीं कर सकते हैं।
गुलाम नबी आजाद भी आये सामने
वहीं ग़ुलाम नबी आज़ाद ने ट्वीट कर कहा—मैं कपिल सिब्बल के घर के बाहर हुई गुंडई की कड़ी भर्त्सना करता हूँ। सिब्बल एक वफ़ादार कांग्रेसी हैं और उन्होंने कांग्रेस के लिए संसद से सड़क तक लड़ाई की है। कपिल सिब्बल के घर के बाहर चाँदनी चौक के यूथ कांग्रेस के लोगों ने बुधवार रात विरोध-प्रदर्शन किया था और उनके कैंपस में टमाटर भी फेंके थे।
नए—पुराने नेताओं में तालमेल की कमी
दूसरी तरफ़ पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन, अश्विनी कुमार, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल ने गांधी—नेहरू परिवार की भक्ति में जी-23 के ख़िलाफ मोर्चा खोला है। इन नेताओं ने कहा कि सोनिया गाँधी जी और राहुल गाँधी जी ने मुश्किल हालत में भी पार्टी को संभाला है। इस नेतृत्व के साथ हमारा पूरा भरोसा है। अभी जो सवाल उठा रहे हैं, उन्हें पार्टी ने बहुत कुछ दिया है।
इन सारे प्रकरणों पर नजर डालें तो एक बात स्पष्ट हो जाती है कि बीतते समय के साथ कांग्रेस अपने पुराने वरिष्ठ नेताओं और नए उभरते चेहरों के बीच तालमेल बिठाने में विफल होती दिख रही है। लोकतांत्रिक तौर तरीकों की दुहाई देने वाली पार्टी ने हालांकि अब जाकर कहा है कि सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलायी जा रही है। लेकिन इतने हो—हल्ले के बाद मसलों को लेकर आंतरिक फोरम पर चर्चा करने को राजी होना, पार्टी की कमजोरी ही दर्शाता है। दबी जुबान आम कार्यकर्ता भी इस घोषणा पर यही कहता है कि—’का वर्षा जब कृषि सुखाने’। यानी कैप्टन अमरिंदर को गंवाने के बाद आप चर्चा कर क्या पार्टी में दो फाड़ को रोक सकते हैं?