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श्री कृष्ण की छाठिहार पर उमड़ी भक्तों की भीड़

 

सिवान : जीरादेई प्रखण्ड क्षेत्र अंतर्गत भरौली मठ में परम् संत रामनारायण दास महाराज की  सानिध्य में बुधवार को भगवान श्रीकृष्ण की छठी बड़ी धूमधाम से मनाई गई।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना के बाद रामनारायण दास जी महाराज ने उनके जीवन के अंश पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने प्रत्येक नेतृत्व विविध परिस्थितियों में, विविध लोगों के लिये कर के यह सिद्ध किया कि व्यक्ति समाज के ऋण को अपने सामान्य कार्यो व पूजन द्वारा उतार सकता है। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण ने पांडवों का समर्थन इसलिये नहीं किया कि वे लोग उनके रिश्ते में भाई लगते थे या उनकी बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था या द्रौपदी के प्रति उनके ह्रदय में विशेष स्नेह था। राम नारायण दास ने कहा कि श्री कृष्ण ने उन्हें समर्थन दिया और उनका पथ प्रदर्शन एक बड़े उत्तरदायित्व के लिये किया। महराज जी ने कहा कि उन्होंने उच्च कोटि के राजनयिक और परोपकारी नेतृत्व का प्रदर्शन महाभारत के महायुद्ध से पूर्व और उसके पश्चात किया। श्री कृष्ण ने अपना नेतृत्व द्वारका या यादवों तक सीमित नहीं रखा, बल्कि उन्होंने वैशिवक नेतृत्व की शानदार मिसाल पेश की। महराज जी ने कहा कि उन्होंने गांधार के शकुनि (वर्तमान अफगानिस्तान) की प्रत्येक कुटिल चाल को विफल किया, कालयवन का वध बड़ी चतुराई से किया ,जो वर्तमान बलूचिस्तान का शक्तिशाली नरेश था। उन्होंने नागों का प्रबन्ध किया जो आज के नागालैंड और म्यांमार है तथा घटोत्कच जैसे आदिवासी राजाओं की सहायता कठिन स्थितियों में प्राप्त की। रामनारायण दास ने कहा कि श्री कृष्ण के नेतृत्व ने आम जनता तथा उसके सभी वर्गों का प्रेम और सम्मान प्राप्त किया, जो हमारे समाज के लिये अनुकरणीय व वंदनीय है।

राष्ट्रीय हिन्दू युवाहनी के प्रदेश अध्यक्ष सह जदयू नेता व सिवान सांसद कविता सिंह के पति अजय सिंह ने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जीवन दर्शन मानवीय विकास के लिये प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण सम्पूर्ण नेता थे जो अपने छह ईश्वरीय गुणों शक्ति, धन, ज्ञान, सौंदर्य, साफल्य त्याग के कारण विभिन्न स्थानों पर नेतृव करते थे। अजय ने कहा कि श्री कृष्ण के भीतर जो नेता था उसमें कार्यशील घटकों का अद्भुत समिश्रण था। उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का नेतृत्व अधिक सामूहिक, सबको अपने में समाहित करने वाला और आक्रामक था, मानवीय धरातल पर उन्होंने सिद्ध किया कि सत्य की स्थापना हमेशा सत्य के मार्ग पर चलकर नहीं हो सकती। अजय ने कहा कि श्री कृष्ण का संदेश साफ था कि आपको अपने अभिगम के प्रबन्ध कौशल को मजबूती से जमे हुए दुष्टों से निपटने हेतु बदलना ही होगा।

इसके बाद भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें हजारों भक्तों ने प्रसाद ग्रहण किया। भजन कीर्तन का भी कार्यक्रम हुआ। इस मौके पर व्यापार मंडल के पैक्स अध्यक्ष चंद्रशेखर सिंह, डॉ राजन सिंह ,धीरेंद्र सिंह, वृजविहारी दूबे, मुखिया नागेंद्र सिंह, शिक्षा प्रेमी संजय सिंह, रामेश्वर सिंह, विकास सिंह, बीडीसी अभिमन्यु सिंह, पूर्व बीडीसी राजेश सिंह, नन्द जी चौधरी, संतोष यादव, सुभाष पंडित आदि उपस्थित रहे।