नयी दिल्ली : महाराष्ट्र में चुनावी नतीजे आए करीब एक माह हो गया है। लेकिन वहां सरकार बनाने का मसला ज्यों का त्यों लटका हुआ है। भाजपा को डिच कर एनसीपी और कांग्रेस के कंधे पर सवार होने वाली शिवसेना की छटपटाहट भी अपना धैर्य खो रही है। शिवसेना को उम्मीद है कि एनसीपी-कांग्रेस उसके साथ आएगी और सरकार बन जाएगी। लेकिन पिछले 24 घंटे में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने ऐसे दो बयान दिए हैं, जिनसे शिवसेना की राह मुश्किल होती दिख रही है। आइये जानते हैं कि क्यों और कैसे शरद पवार शिवसेना की धड़कन बढ़ा रहे हैं।
ताजा बयान में शरद पवार ने दिखाई तल्खी
मौजूदा हालात में एनसीपी प्रमुख शरद पवार लगातार कह रहे हैं कि अभी महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर कोई चर्चा नहीं हो रही। आज मंगलवार को जब शरद पवार संसद भवन पहुंचे तो मीडिया ने उनसे महाराष्ट्र में सरकार गठन पर सवाल दागा। इस पर शरद पवार ने अपने ही अंदाज में जवाब दिया और कहा कि मुझसे ये सवाल मत पूछो, जिनको सरकार बनानी है उनसे सवाल पूछो। साफ है कि शरद पवार शिवसेना को सत्ता की रोटी तो दिखा रहे हैं, लेकिन अगले ही पल वह रोटी वे उसके मुंह से दूर कर दे रहे हैं।
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पवार के पिछले बयान से शिवसेना को आघात
कल सोमवार को जब शरद पवार कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे तो उम्मीद थी कि महाराष्ट्र में सरकार गठन पर छाए काले बादल अब छंट जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मुलाकात के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में पवार ने कहा कि इस बैठक में सरकार गठन पर कोई चर्चा नहीं हुई है।
एनसीपी चीफ के गेम प्लान को समझना मुश्किल
शरद पवार ने कहा कि कांग्रेस और एनसीपी ने साथ में चुनाव लड़ा था। इसलिए दोनों पार्टी के नेता आगे की रणनीति पर बात कर रहे हैंं। लेकिन सरकार को लेकर पवार ने कहा था कि हमारे पास 6 महीने का समय है। साफ है कि जितनी हड़बड़ी सरकार गठन को लेकर शिवसेना को है, उनती शायद एनसीपी और कांग्रेेस को नहीं।
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पवार के इस बयान पर जब शिवसेना के संजय राउत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने सिर्फ इतना ही कहा कि शरद पवार को समझने में कई जन्म लग जाएंगे। स्पष्ट है कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने के मामले में कोई न कोई पेंच तो जरूर है। यही पेंच एनसीपी और कांग्रेस को शिवसेना के मामले में बेहद सावधान किये हुए है और इसी का नतीजा वहां सरकार गठन में हो रही देरी के रूप में सामने आ रहा है।