शिवानंद, रघुवंश के साथ यूं ही नहीं तलब हुए तेजस्वी, जानें लालू की मंशा

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पटना/रांची : लोकसभा चुनाव में बुरी तरह मात खाने के बाद आज शनिवार को रांची रिम्स में एकसाथ राजद के सिपहसालार तेजस्वी यादव, रघुवंश प्रसाद सिंह और शिवानंद तिवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं का पार्टी सुप्रीमो लालू यादव से मिलना महज औपचारिकता भर नहीं था। इसके ​पीछे राजद के बिखर रहे नेतृत्व व भविष्य की राजनीति को दिशा देने की गंभीर और महत्वपूर्ण कवायद प्रमुख रूप से उभर कर सामने आ रही है। सूत्रों के अनुसार लालू ने शिवानन्द तिवारी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री रधुवंश प्रसाद सिंह को रांची स्थित रिम्स में तेजस्वी के साथ खुद तलब किया था।
अंदरखाने से जो बात छनकर आई उसके मुताबिक लालू प्रसाद आगामी विधानसभा चुनाव के लिए जेल से ही रणनीति बनाना शुरू कर चुके हैं। इसीलिए उन्होंने पार्टी के राजनीतिक सिद्धांतकार शिवानन्द तिवारी तथा अपनी साफ-सुथरी छवि के लिए चर्चित रधुवंश बाबू को बुलाया।
हाल के दिनो में कार्यकारिणी की बैठक में नेताओं की अपेक्षित भीड़ नहीं होना फिर पार्टी के स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में सीटों के खाली रहने का राजनीतिक संकेत राजद के पक्ष में नहीं गया है। जेल में रहते हुए भी इन सभी चीजों पर गंभीर नजर रख रहे लालू प्रसाद ने फोन पर शिवानन्द तिवारी से बात की थी। श्री तिवारी ने उन्हें स्पष्ट कहा था कि भाजपा की आक्रामक राजनीतिक तैयारी को देखते हुए पार्टी की नीति में धार देनी होगी। उन्होंने लालू प्रसाद से यह भी कहा था कि पार्टी में अनुशासन का घोर अभाव है। बिना अनुशासन और प्रोटोकाॅल के संगठनात्मक सबलता की उम्मीद नहीं की जा सकती।
इसके बाद ही लालू ने श्री तिवारी और रधुवंश बाबू को रिम्स में तेजस्वी के साथ ही तलब कर लिया। अभी तक तेजस्वी ही पार्टी के अहम सवालों को या तो हल कर रहे हैं अथवा फैसला कर रहे हैं। लेकिन, रधुवंश बाबू से इनकी मतभिन्नता रही है। खासकर, सवर्ण आरक्षण मसले पर। हार के बाद उन्होंने अपनी पीड़ा भी व्यक्त की थी। उन्होंने तेजस्वी यादव को आड़े हाथों लेते हुए संभल कर बात करने की नसीहत भी दी थी।

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