शेषन का ऋणी नेशन : लालू को सिखाई तमीज तो राजीव के मुंह से छीन ली थी बिस्किट
नयी दिल्ली/पटना : चुनाव आयोग और चुनाव आयुक्त क्या होता है, यह समझाने और महसूस कराने वाले पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री टीएन शेषन का राविवार की रात निधन हो गया। वे 86 वर्ष के थे। वर्ष 1990 से 1996 के बीच मुख्य चुनाव आयुक्त रहे टीएन शेषन ने अपने कार्यकाल में देश की चुनावी राजनीति को बदल कर रख दिया। आइए जानते हैं श्री शेषन से जुड़ी कुछ ऐसी घटनाएं जिसने देश की दिशा और दशा बदल दी।
राजीव गांधी के मुंह से छीन ली बिस्किट
वर्ष 1990 में श्री शेषन चुनाव आयुक्त बनने से पहले केंद्रीय कैबिनेट के सचिव पद पर थे। राजीव गांधी जब प्रधानमंत्री थे तब उनके उनसे करीबी संबंध थे। तब एक मौके पर कैबिनेट सचिव रहे शेषन ने राजीव गांधी के मुंह से यह कहते हुए बिस्किट खींच लिया था कि प्रधानमंत्री को वो चीज नहीं खानी चाहिए, जिसका पहले परीक्षण न किया गया हो।
राजीव से मिलने के बाद ही बने चुनाव आयुक्त
शेषन के मुख्य चुनाव आयुक्त बनने की कहानी भी बेहद रोचक है। दिसंबर 1989 की एक रात करीब 1 बजे तत्कालीन केंद्रीय मंत्री सुब्रमण्यम स्वामी शेषन के घर पहुंचे। उन्होंने पूछा था, क्या आप अगला मुख्य चुनाव आयुक्त बनना पसंद करेंगे? तब चंद्रशेखर पीएम थे और कांग्रेस उन्हें समर्थन दे रही थी। करीब 2 घंटे तक स्वामी उन्हें मनाते रहे। पर राजीव गांधी से मिलने के बाद ही शेषन ने मुख्य चुनाव आयुकत बनने पर अपनी सहमति दी।
बूथ लूट और चुनावी धांधली पर सख्ती
टीएन शेषन के चुनाव आयुक्त बनने से पहले देश में और खासकर बिहार में चुनावी धांधली आम बात थी। बूथ कब्जा, बैलेट पेपर बदल देना, उम्मीदवारों का बेतहाशा खर्च या फिर सरकारी हेलिकॉप्टर का दुरुपयोग, यह श्री शेषन ही थे जिन्होंने इन तमाम धांधलियों पर लगाम लगाई। दीवारों पर नारे, पोस्टर चिपकाना, लाउडस्पीकरों से शोर, प्रचार के नाम पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने वाले भाषण देना, उन्होंने सब पर सख्ती की।
नास्तिक लालू को बना दिया भगवान का भक्त
शेषन की सख्तियों का परिणाम यह रहा कि जहां आम जनता उन्हें भगवान मानने लगी, वहीं लालू यादव सरीखे नेता दिन—रात शेषन को लानत देने लगे। लालू ने तो यहां तक कहना शुरू कर दिया कि ‘ई शेषनवा के भैईसिया के पीठ पर बैठा के पानी में हेला देब’। लेकिन लालू पर शेषन इफेक्ट देखिये कि घोर नास्तिक जमात वाला यह नेता आगे चलकर शेषन के खौफ से भगवान—भगवान जपने लगा।
यात्रियों से भरी बस 80 किमी तक चलाई
चुनाव आयोग में कार्यकाल से पहले भी शेषन की छवि के कड़क और काबिल आफिसर की रही थी। जब शेषन चेन्नई में ट्रांसपोर्ट कमिश्नर थे, तो सवाल उठा कि उन्हें ड्राइविंग और बस इंजन की जानकारी नहीं है। ऐसे में वे ड्राइवरों की समस्या कैसे हल करेंगे? इस पर शेषन ने सबके सामने न सिर्फ बस की ड्राइविंग सीट संभाल ली, बल्कि उन्होंने बस का इंजन खोलकर दोबारा फिट भी कर दिया। यही नहीं, चेन्नई में बस हड़ताल के वक्त टीएन शेषन यात्रियों से भरी बस 80 किमी तक चलाकर ले गए।
नेताओं के दिल में पैदा किया कानून का डर
पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी ने टीएन शेषन को याद करते हुए कहा कि 1990 के दशक के आरंभिक सालों में उनका नाम भर लेने से बाहुबली और उद्दंड राजनेताओं के दिल में भगवान का भय पैदा हो जाता था। वहीं, हरेक भारतवासी का दिल सम्मान से भर उठता था। उनके बाद के मुख्य चुनाव आयुक्तों को उस पहचान का लाभ मिला जो उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त के पद को दिलाई।