शराबबंदी से महिलाओं को फायदा, पर सशक्तीकरण पर और काम बाकी

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पटना : एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट के प्रोफेसर दिवाकर ने महिला सशक्तीकरण में अपना संबोधन देते हुए कहा कि भारत में महिलाओं के लिए अभी बहुत काम करने की जरूरत है। भारत में महिलाओं को एक ऑब्जेक्ट के रुप में देखा जाता है। कभी भी उन्हें वह इज़्ज़त नहीं मिलती जिसकी वे अधिकारी हैं। उन्होंने कहा कि 2015 में पूरी दुनिया में महिलओं के मामले में भारत की रैंकिंग 55 थी जो 2018 में बढ़कर 118 हो गई। महिलाओं की सुरक्षा की बात हो या उनके स्वास्थ्य की बात हो या शिक्षा की बात हो, भारत की स्थिति बांग्लादेश और नेपाल से भी बुरी है।
वहीं डॉ एन विजयलक्ष्मी ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि जैसा कि हम सभी जानते हैं कि बिहार बहुत सारी समस्याओं से घिरा हुआ है। बिहार में अशिक्षा, कुपोषण, गरीबी, अवेयरनेस की भारी कमी है। महिला सशक्तीकरण पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि शराबबंदी से महिलाओं और समाज को बहुत फायदा हुआ है। शराबबंदी के खास पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि इससे घरेलू हिंसा में कमी आई है और अप्रत्यक्ष रूप से महिला सशक्तीकरण भी हुआ है। उन्होंने कहा कि जो पैसा शराब पर खर्च होता था, अब वो बच्चों की पढ़ाई पर खर्च हो रहा है, स्वास्थ्य पर खर्च हो रहा है। डॉ एन विजयलक्ष्मी ने कहा कि मुख्यमंत्री विकास कन्या योजना के तहत लड़कियों को आर्थिक सहायता की जाती है। उन्होंने कहा कि 1 लाख से ज्यादा आंगनबाड़ी सेविकाएं रात दिन महिला सशक्तीकरण पर काम कर रही हैं। लेकिन नतीजा निराशाजनक ही दिख रहा है। उन्होंने कहा कि दुग्ध सहकारी समितियों में पुरूषों की उपस्थिति तो दिखाई दे देती है, लेकिन महिलाएं अभी भी इस क्षेत्र में नहीं हैं। इसलिए महिला डेयरी सहकारी समिति बनाने पर सरकार विचार कर रही है। पिछले दो वर्षों से इस पर काम शुरू कर दिया गया है। अभी तक 2 हज़ार महिलाओं को इसमें जोड़ा गया है। महिलाएं सशक्त होती हैंं तो उनकी सोच और उनका नज़रिया कुछ और रहता है।
(मधुकर योगेश)

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