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शंकराचार्य ने क्यों कहा, मंदिर निर्माण में देरी मानवाधिकार का उल्लंघन?

पटना : पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि राम जन्मभूमि पर केवल राम मंदिर ही बनेगा। राम मंदिर के पास मस्जिद बनाने का षड्यंत्र अब समाप्त हो गया है। राम जन्मभूमि पर हिंदुओं के आस्था व मान के प्रतीक भगवान श्रीराम का मंदिर नहीं बनने देना भारत की जनता के मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है। मानवाधिकार की बात करने वाले हिंदुओं के मामले में दूसरे मानदंड को अपनाने लगते हैं। आजादी के बाद हमने सोमनाथ में उसी स्थान पर फिर से मंदिर का पुनर्निमाण कराया जिसपर विराजमान सोमनाथ मंदिर को आक्रांताओं ने ध्वस्त कर दिया था। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा.राजेंद्र प्रसाद और सरदार वल्लभ भाई पटेल के प्रयास से वह पुनीत कार्य पूर्ण हुआ था। जबकि उस समय के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू उसका विरोध कर रहे थे। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर मंदिर ही था। इसका पुरातात्विक प्रमाण अब सिद्ध हो चुका है। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि पर किसी आक्रांता द्वारा निर्मित किसी ढांचे का खड़ा रहना या उस घटना की याद दिलाने वाले किसी भवन का होना, लोगों की भावना को आहत करेगा। यह मानवाधिकारों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत की राजधाानी दिल्ली के चौक-चौराहों पर अंग्रेज वायसरायों की मूर्तियां लगी थी। सरकार ने उन मूर्तियों को यह कहते हुए हटवाया था कि उनके रहने से भारत के लोगों की भावनाएं आहत होंगी। उसी प्रकार श्रीराम के अयोध्या में उनकी जन्मभूमि पर किसी आक्रांता की स्मृति से लोगों की भावनाएं आहत क्यों नहीं होंगी। एक अहम खुलासा करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार भारत सरकार ने यह बात लगभग तय करवा लिया था कि श्रीराम जन्मभूमि पर भगवान राम के मंदिर के साथ ही मस्जिद का भी निर्माण करा दिया जाए। शंकराचार्य की हैसियत से हमने सरकार के उस प्रस्ताव का विरोध करते हुए उस पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया था। मेरे विरोध के बाद वह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ पाया था। शंकराचार्य ने कहा कि श्रीराम जन्मभूमि पर केवल श्रीराम मंदिर ही बनेगा। यह ध्रुव सत्य है।
दो दिवसीय दौरे पर पटना पहुंचे पुरी के शंकराचार्य से मिलने के लिए कल से ही लोगों का तांता लगा रहा। आज केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे, अभिजीत कश्यप, अजय यादव सहित कई लोग सपरिवार मिलते रहे।