पटना : बिहार में सीट शेयरिंग को लेकर मचे घमासान में बिहार भाजपा और जदयू के बड़े नेताओं के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। सीट शेयरिंग के बढ़ते विवाद को लेकर बिहार के उपमुख्यमंत्री भाजपा के कद्दावर नेता सुशील मोदी ने कहा था कि 2020 का विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में लड़ा जाना तय है। सीटों के तालमेल का निर्णय दोनों दलों का शीर्ष नेतृत्व समय पर करेगा। कोई समस्या नहीं है।
लेकिन, जो लोग किसी विचारधारा के तहत नहीं, बल्कि चुनावी डाटा जुटाने और नारे गढ़ने वाले कंपनी चलाते हुए राजनीति में आ गए, वे गठबंधन धर्म के विरूद्ध बयानबाजी कर विरोधी गठबंधन को फायदा पहुँचाने में लगे हैं। एक लाभकारी धंधे में लगा व्यक्ति पहले अपनी सेवाओं के लिए बाज़ार तैयार करने में लगता है, देशहित की चिंता बाद है।
बाद आगे बढी और सुमो के बयान पर पलटवार करते हुए पीके ने तंज कस्ते हुए कहा कि बिहार में नीतीश कुमार का नेतृत्व और JDU की सबसे बड़े दल की भूमिका बिहार की जनता ने तय की है, किसी दूसरी पार्टी के नेता या शीर्ष नेतृत्व ने नहीं। 2015 में हार के बाद भी परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री बनने वाले सुशील मोदी से राजनीतिक मर्यादा और विचारधारा पर व्याख्यान सुनना सुखद अनुभव है।
जाहिर सी बात है प्रशांत किशोर ने अपने ट्वीट में भाजपा नेता सुशील मोदी को परिस्थितिवश उपमुख्यमंत्री बनने वाला नेता बताया। लेकिन, प्रशांत किशोर ने जिसे जनादेश का नेता बताया उन्हें तेजाब कांड में पटना हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद 10 सितंबर को शहाबुद्दीन जेल से बाहर आया था तो उसने सीधे नीतीश पर निशाना साधा था। उसने नीतीश कुमार को परिस्थितियों का मुख्यमंत्री बताते हुए लालू को अपना नेता कहा था।