नागरिकता संशोधन कानून(CAA) जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इन छह समुदायों के शरणार्थियों को पांच साल भारत में निवास करने के बाद भारतीय नागरिकता दी जाएगी। संसद से पारित व राष्ट्रपति के मुहर लगने के बाद यह विधेयक अब कानून बन गया है।
लेकिन, नागरिकता संशोधन क़ानून(CAA) पर पूर्वोत्तर राज्यों समेत देश के कई विश्वविद्यालयों और अन्य जगहों पर हो रहे हिंसा और प्रदर्शनों के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने पहली बार नागरिकता क़ानून में कुछ बदलाव के संकेत दिए हैं। झारखंड विधानसभा चुनाव को लेकर धनबाद में एक रैली को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा कि इस क़ानून को लेकर नॉर्थ ईस्ट के लोगों में कुछ संदेह है। इसको लेकर मेघालय के मुख्यमंत्री ने मुझसे मुलाक़ात की, मैंने उन्हें भरोसा दिलाया है कि क्रिसमस के बाद इसका कोई ना कोई हल ज़रूर निकाल लिया जाएगा। उन्हें इस क़ानून को लेकर परेशान होने की ज़रूरत नहीं है।