पटना : पटना हाईकोर्ट ने जहानाबाद के बहुचर्चित सेनारी नरसंहार के सभी 13 दोषियों को बरी कर दिया है। जस्टिस अश्वनी कुमार सिंह और जस्टिस अरविंद श्रीवास्तव की खंडपीठ ने लंबी सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। जिसे आज सुनाया गया। कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को रद्द करते हुए सभी 13 दोषियों को तुरंत रिहा करने का भी आदेश दिया।
18 मार्च, 1999 की घटना
मालूम हो कि 18 मार्च, 1999 की रात जहानाबाद जिले के सेनारी गांव में एक खास अगड़ी जाति के 34 लोगों की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी। उस समय इस नरसंहार में प्रतिबंधित संगठन माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर (एमसीसी) को शामिल माना गया था। प्रतिबंधित नक्सली संगठन एमसीसी ने जहानाबाद जिले के सवर्ण बाहुल्य सेनारी गांव में होली से ठीक पहले खून की होली खेली थी। बताया जाता है कि 500-600 की संख्या में रहे हथियारबंद लोगों ने उस समय सेनारी गांव पर हमला बोल दिया था।
34 जानें चीख में तब्दील
बताया जाता है कि गांव के लोग अभी ठीक से खाना भी नहीं खा पाये होगें इस बीच हथियारबंद लोगों ने उनके घरों को चारों तरफ से घेर लिया था। इसके बाद घरों के पुरुषों को बाहर निकालकर गांव के ही ठाकुरबाड़ी मंदिर के पास लाया गया। जहां 6 कातिल धारदार हथियार से एक-एक कर युवकों की गर्दन रेतकर जमीन पर गिरा रहे थे। एक के बाद एक 34 जानें चीख में तब्दील हो कर रह गईं।
प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो लग रहा था कि हमलावरों में सभी ने शराब पी रखी थी। उनके द्वारा रात साढ़े सात से दस बजे के बीच नरसंहार को अंजाम दिया गया। सेनारी गांव भूमिहारों का था और मारने वाले एमसीसी के लोग थे।
जिसके बाद जहानाबाद जिला अदालत ने 15 नवंबर 2016 को इस मामले में 10 को मौत की सजा सुनाई थी, जबकि 3 को उम्र कैद की सजा दी थी।