एमयू VC पर शिकंजा, शुरुआती जांच में 30 करोड़ से अधिक की वित्तीय अनियमितता, 47 के बदले 89 गार्ड…

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पटना : बिहार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति से लेकर वित्तीय लेन-देन की प्रक्रिया विवादों में रही है। इस विवाद की आंच राजभवन तक पहुँची है और इसके शिकायत पीएम मोदी तक की गई है। लम्बे समय से इस संबंध में हो रही कार्रवाई की मांग का असर अब दिखने लगा है।

इसी कड़ी में मगध विश्वविद्यालय के कुलपति राजेंद्र प्रसाद के ऊपर निगरानी की स्पेशल विजिलेंस यूनिट ने नकेल कसी है। कुलपति राजेंद्र प्रसाद के कई ठिकानों पर तलाशी अभियान के दौरान शुरुआती जांच में 30 करोड़ रुपये से अधिक की वित्तीय अनियमितता का उजागर हुआ है। 47 के बदले 89 गार्ड की नियुक्ति की बात भी सामने आई है। इसके अलावा गोरखपुर आवास पर एक करोड़ की अचल संपत्ति का भी पता चला है और 5 लाख विदेशी करेंसी बरामद किए गये हैं। विजिलेंस यूनिट ने कई फाइलों को जब्त की है।

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क्या है आरोप

मगध विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद यह आरोप है कि उन्होंने बिना निविदा के ओएमआर शीट व प्रश्न संबंधी कार्य के लिए एक कंपनी ‘इंफोलिंक कंसल्टेंसी सर्विसेज प्रा. लिमिटेड’ को 16 करोड़ रुपए का अनियमित भुगतान कराया, जबकि सरकार का स्पष्ट निर्देश है कि सभी खरीद जेम पोर्टल से होगा। इस कंपनी का संबंध कुलाधिपति फागू चौहान के पुत्र रामविलास चौहान से है।

जब इस भुगतान को लेकर मगध विवि के कुलसचिव डॉ. विजय कुमार और वित्त परामर्शी मधुसूदन ने विरोध किया, तो तत्काल उन दोनों का ट्रांसफर कर दिया गया था। 5 मार्च 2021 को इन दोनों को कुलपति ने बुलाकर 16 करोड़ वाले फाइल को निपटाने को कहा था। इनकार करने पर अपशब्द कहा और हटाने की धमकी दी थी। इसके बाद कुलसचिव ने राजभवन के प्रधान सचिव व शिक्षा सचिव को पत्र लिखा था। उस समय तक कुलपति पर कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इस पर जानकारों का कहना है कि मगध विवि के कुलपति प्रो. राजेंद्र प्रसाद की पहुंच कुलाधिपति तक है। यह भी गौर करने वाली बात है कि कुलाधिपति व मगध विवि के कुलपति दोनों यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र के रहने वाले हैं।

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