‘सत्य’ को ‘तथ्य’ के साथ कहने से बनी ‘द कश्मीर फाइल्स’ : विवेक अग्निहोत्री
‘आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022’ का समापन
नई दिल्ली : आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर भारतीय जन संचार संस्थान एवं फिल्म समारोह निदेशालय, भारत सरकार के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय ‘आईआईएमसी फिल्म फेस्टिवल 2022’ एवं ‘राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता’ के अंतिम दिन प्रसिद्ध फिल्म निर्माता एवं निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने विद्यार्थियों के साथ संवाद किया।
अग्निहोत्री ने कहा कि फिल्मों में ‘सत्य’ के साथ ‘तथ्य’ की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। इन दोनों के मिलने से ही ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्म का निर्माण होता है। आईआईएमसी के नई दिल्ली कैंपस में आयोजित हुए इस फेस्टिवल की थीम ‘स्पिरिट ऑफ इंडिया’ रखी गई थी। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन और जल शक्ति मंत्रालय भी इस आयोजन का हिस्सा बने।
आईआईएमसी के अपने पुराने दिनों को याद करते हुए श्री अग्निहोत्री ने बताया कि मीडिया के विद्यार्थियों को चाहिए कि वे किसी को प्रभावित करने की कोशिश न करें, बल्कि खुद को अभिव्यक्त करना सीखें। हम केवल अपनी मानसिकता के कारण खुद को सीमित करते हैं, जबकि ईश्वर ने प्रत्येक इंसान को किसी न किसी प्रतिभा से नवाजा है। इसलिए हमेशा अपने नजरिये पर यकीन करना चाहिए और अपने दिल की आवाज सुननी चाहिए। यह मूलमंत्र मुझे आईआईएमसी से ही मिला है।
अग्निहोत्री ने संस्थान के विद्यार्थियों के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि उन्होंने फिल्में बनाना 2005 से प्रारंभ कर दिया था और वे बॉलीवुड में बनने वाली फिल्मों के ढर्रे का अनुसरण कर सकते थे। उन्होंने कहा कि ऐसा करना उनके लिए बेहद आसान होता, लेकिन उन फिल्मों से उन्हें संतुष्टि नहीं मिलती। श्री अग्निहोत्री ने बताया कि बरसों के कड़े परिश्रम और रिसर्च के बाद उन्होंने ‘बुद्धा इन ट्रैफिक जाम’, ‘द ताशकंद फाइल्स’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ जैसी फिल्में बनाईं।
अपनी आने वाली फिल्मों के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी एक फिल्म 2023 में आ रही है, जो मानवता की सबसे बड़ी उपलब्धियों पर आधारित है और जिसे देखकर सभी को अपने देश के प्रति गर्व की अनुभूति होगी। इसके अलावा 2024 में उनकी फिल्म ‘द दिल्ली फाइल्स’ रिलीज होगी।
इससे पूर्व समापन समारोह को संबोधित करते हुए सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की अपर सचिव सुश्री नीरजा शेखर ने कहा कि हमारी प्राचीन सभ्यता, महाकाव्यों और समृद्ध लोक परंपरा के आधार पर हम बहुत गर्व के साथ यह बात कह सकते हैं कि भारत विश्व का ‘कंटेंट हब’ है। उन्होंने कहा कि भारत में जिस प्रकार की कहानियां मिलती हैं उनमें बहुत विविधता है और हमारे पास ढेरों ऐसी कहानियां हैं, जिसे दुनिया ने कभी नहीं सुना।
शेखर ने कहा कि विद्यार्थियों द्वारा बनाई गई फिल्मों का उन्हें इंतजार रहेगा और उम्मीद है कि उनका कहीं न कहीं उपयोग संभव हो सकेगा। उन्होंने पुरस्कार विजेता फिल्मों का हौंसला बढ़ाते हुए कहा कि वे अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव एवं अंतरराष्ट्रीय बाल फिल्म महोत्सव से जुड़ने और उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने का प्रयास करें।
इस अवसर पर ‘राष्ट्रीय लघु फिल्म निर्माण प्रतियोगिता’ के विजेताओं को भी सम्मानित किया गया। प्रथम पुरस्कार करम सिटी कॉलेज की ‘सेरेंगसिया 1837 लॉस्ट इन द वैली’, दूसरा पुरस्कार ‘कासाद्रु : हाइलाइट्स द प्लाइट ऑफ मैनुअल स्कावेंजर्स’, लोएला कॉलेज और तीसरा पुरस्कार ‘डिकेड ऑफ डस्क : रेजिज सीरियस इश्यूज ऑफ मेलन्यूट्रिशन इन केरल’, आईआईएमसी दिल्ली ने जीता। क्रिटिक्स च्वाइस पुरस्कार ‘द स्कूल ऑफ नेचर’, आईआईएमसी अमरावती और ‘बुंदेली बिन्नु’, आईआईएमसी दिल्ली को प्रदान किया गया। फेस्टिवल के दौरान आयोजित क्विज के विजेताओं को भी इस दौरान पुरस्कृत किया गया।