हर-हर महादेव व जय सियाराम के उद्घोषों से गूंजता रहा पातेपुर
भारत साधु समाज का त्रिदिवसीय प्रदेश अधिवेशन संपन्न
पातेपुर (वैशाली) : साधु-संतों से अटा-पटा पातेपुर स्थान (मठ)। कहीं धूनी रमी तो कोई भजन-कीर्तन में मस्त। बावजूद कार्यक्रम अपने निर्धारित समय से आरंभ होता तो सभी झूला भवन में जुट जाते। भारत साधु समाज के प्रदेश अधिवेशन के अंतिम दिन जिन विषयों को केंद्र में रखकर चर्चाएं हुईं, उनमें गंगा समेत अन्य नदियों की स्वच्छता, समाज व शिक्षण संस्थानों में धार्मिक और नैतिक शिक्षा, तीर्थ स्थानों में यात्रियों की सुविधा व सुरक्षा शामिल हैं। राष्ट्रीय महामंत्री (कार्यकारी) स्वामी केशवानंद जी संत टोली से मुखातिब थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि सत्य को साधने की जरूरत है। इसके बिना न व्यक्ति का सम्मान बचेगा, न परिवार संगठित होगा और न राष्ट्र सुखी होगा। नैतिकता को बचाए रखने में साधु समाज को आगे आना होगा। अनुशासन भंग होगा तो चूक की आशंका रहती है। उसके लिए स्वयं को जिम्मेदार माना जाएगा। इसी क्रम में स्वामी जी बोल रहे थे कि मठ-मंदिरों की संपत्ति और सुरक्षा के लिए सरकार से भी बात होगी।
सैकड़ों साधु व हजारों गृहस्थ तीन दिनों तक छकते रहे पंगत
अधिवेशन की अध्यक्षता साधु समाज के प्रदेश अध्यक्ष श्रीकांत शरण दास कर रहे थे। खुले सत्र में आमंत्रित विषयों पर प्रदेश उपाध्यक्ष श्री कमलनारायण दास, श्री रामसुमिरन दास, श्री मौनी बाबा, श्री प्रकाश गिरि, श्री शिवराम दास, श्री शंकर दास, श्री ज्ञानानंद आचार्य, श्री परमेश्वर दास, श्री राम शंकर दास, श्री कौशल किशोर दास, श्री रवि शंकर गिरि, श्री बजरंगी दास, श्री राघवेंद्र दास समेत कई साधु-संतों ने अपने-अपने मत रखे। कार्यक्रम की खासियत थी कि संबंधित विषयों के तज्ञ डॉ. विघ्नेश झा, डॉ. राजेंद्र झा, पंडित पवन मिश्र व पंडित देवेंद्र झा ने शास्त्रीय वैदिक प्रमाणों के साथ नैतिक मूल्यों को समझाया। रोचक यह है कि बिना किसी चंदे के त्रिदिवसीय अधिवेशन का मेजबान पातेपुर मठ रहा। मुख्य रूप से साधु समाज के प्रदेश महामंत्री श्री विश्वमोहन दास पूरी व्यवस्था की कमान संभाले रहे। प्रतिदिन हजारों लोगों पंगत छकते रहे। सैकड़ों साधुओं और हजारों गृहस्थों के जयकारों से प्रधान पातेपुर मठ का परिसर गुंजायमान होता रहा। हर-हर महादेव और जय सियाराम ही अभिवादन के माध्यम थे।