शताब्दी समारोह में बोले हरियाणा के राज्यपाल— वाजपेयी काल में बढ़ा हिंदी का गौरव
पटना : बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन अपने शताब्दी वर्ष में अनेक विभूतियों को सम्मानित कर रहा है। यह हम सब के लिए अत्यंत गौरव का विषय है। अटल बिहारी वाजपेयी ने संयुक्त राष्ट्र सभा में हिंदी में भाषण दिया था, जिससे पूरे देश के अंदर हिंदी की गरिमा बढ़ी। उनके कार्यकाल में हिंदी की स्वर्ण जयंति मनाई गई। वाजपेयी काल में हिंदी का प्रचलन बहुत जोरों से हुआ। उक्त बातें बिहार हिंदी साहित्य सम्मलेन के शताब्दी सम्मान समारोह में हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने कहीं।
राज्पाल ने कहा कि जब कोई भी शासक किसी भी देश पर शासन करने से पहले उस देश के राष्ट्रभाषा को समाप्त करने का कोशिश करता है। इतिहास इस बात का साक्ष्यी है की विदेशी शासकों ने इस देश पर शासन करने के लिए हिंदी को दरकिनार करने का प्रयास किया। इसे नष्ट करने का प्रयास किया है, जब भारत में मुगलों का शासन काल में हिंदी को दबाया गया और पुस्तकों और सरकारी कार्य में उर्दू को स्थान दिया गया। हिंदी को बढ़ाने के लिए सबसे पहले आर्य समाज के संस्थापक दयानन्द सरस्वती उन्होंने सत्यप्रकाश को अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद किया। हिंदी में भाषण देना शुरु किया जिससे भारत के लोगों की चेतना जागी। हिंदी कवियों, इतिहासकारों, उपन्यासकारों ने हिंदी को बचाने का बहुत ज्यादा कोशिश किया।
हिंदी साहित्य सम्मलेन के अध्यक्ष अनिल सुलभ ने कहा कि यह ऐतिहासिक महत्व का दिवस है। बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन इसके 100 वर्ष में भारत के अनेक प्रान्तों से आए, विद्वानों का शताब्दी सम्मान का अलंकरण कर रहा है। यह गौरव की बात है। इसके स्थापना भारत के जो पहले राष्ट्रपति हुए, देशरत्न राजेंद्र प्रसाद उनके प्रेरणा से हुई। राजेंद्र प्रसाद भी इसकी अध्यक्ष रहे है। बिहार के जितने भी विभूतियाँ हुए, दिनकर, बेनीपुरी, शिवपूजन सहाय जी अनेक नाम रहे इस सम्मेलन के अध्यक्ष रहें है। यह सम्मेलन अपने समय में भारत वर्ष के साहित्यकारों का तीर्थस्थली हुआ करता था। भारत के सभी प्रांतों से आए विद्वानों से आग्रह करना चाहता हूं। आप अपने प्रांतों में मुखर होइए और यह कहिए राजकाज की भाषा हिंदी होनी चाहिए। और भारत वर्ष के सभी मुख्य मंत्रियों और प्रधानमंत्री से सभी महामहिम महोदय से पत्र लिखा है और आग्रह किया है। भारत की राजकाज की भाषा हिंदी बनायी जाए। भारत की महारानी हिंदी जी अभी जेल में बंद है। उसे आजाद करना स्वत्रंत कराना आप सब की कृपया पर निर्भर करेगा।
आयोजन के मुख्य अथिति प्रो सूर्य प्रसाद दीक्षित, डॉ वेद प्रताप वैदिक, प्रो गिरीश्वर मिश्र, डॉ केशरी लाल वर्मा, डॉ हरमहिन्दर सिंह बेदी, डॉ नंदकिशोर पांडेय, प्रो शशिशेखर तिवारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। अतिथियों का स्वागत नृपेन्द्रनाथ गुप्त ने किया, मंच संचालन डॉ शंकर प्रसाद व डॉ भूपेंद्र कलसी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ शिववंश पाण्डेय ने किया।
(वंदना कुमारी)