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सरयू के जाने से रघुवर की राह मुश्किल, पढ़िए कैसे ?

झारखण्ड में विधानसभा का चुनाव है, 81 सदस्यीय विधानसभा में सबसे ज्यादा चर्चे में है जमशेदपुर पूर्वी सीट इस सीट की पहचान है प्रदेश के मुख्यमंत्री रघुवर दास से जब झारखण्ड अस्तित्व में नहीं आया था, उसी समय से वे यहाँ से चुनाव लड़ते आये हैं। 1995 से वे लगातार इस सीट से चुनाव जीत रहे हैं। रघुवर दास पूर्वी जमशेदपुर से 5 बार चुनाव जीत चुके हैं और छठी बार वे यहाँ से चुनावी मैदान में हैं। यह सीट इन दिनों काफी चर्चे इसलिए है क्योंकि रघुवर सरकार के मंत्री सरयू राय बगावत कर निर्दलीय चुनावी मैदान में हैं। मालूम हो कि रघुवर दास एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं झारखण्ड के जो अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किये हैं।

यहाँ से तीसरे उम्मीदवार हैं कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ जिनको कांग्रेस गठबंधन ने सीएम रघुवर दास के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं । 1967 में वजूद में आयी इस सीट पर अब तक 12 बार चुनाव हो चुके हैं। 8 बार भाजपा 2 बार कांग्रेस और दो बार सीपीआई के उम्मीदवार यहाँ से चुनाव जीते हैं। 1995 से 2014 तक रघुवर दास यहाँ से लगातार चुनाव जीत रहे हैं।

क्यों कटा टिकट सरयू राय का

सरयू राय झारखण्ड भाजपा के कद्दावर नेता हैं। इसबार उनको टिकट नहीं दिया जा रहा था क्योंकि सरयू राय गलत होने पर अपनी ही सरकार की आलोचना करने लगते थे। दूसरा कारण यह है कि वे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हैं तथा जदयू झारखण्ड में भाजपा के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं। तीसरा और सबसे अहम कारण सरयू राय एक पत्रकार रहे हैं अखबार निकालते थे, संघ के पुराने स्वयंसेवक हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर काफी मुखर रहते हैं, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा को जेल भिजवाने में काफी अहम भूमिका निभायी थी। इसी तरह का एक मामला आया है झारखण्ड में। दिसंबर 2018 को कैग (CAG ) के तरफ से एक रिपोर्ट जारी किया जिसमें कंबल घोटाला सामने आया था। जिसकी जांच सरयू राय ने सीबीआई से करवाने की कही। इसके बाद मुख्यमंत्री रघुवर दास और अमित शाह के नज़रों में ठीक आदमी नहीं लगे और दोनों लोग (एक झारखण्ड भाजपा का बॉस और भाजपा का बॉस ) सरयू राय को पसंद नहीं करने लगे ।

नामांकन के दिन सरयू राय ने कहा था कि लालू प्रसाद यादव हमारे मित्र थे, मुख्यमंत्री बने थे काफी ख़ुशी हुई। गलतियां करने लगे तो मैंने उन्हें समझाया। लेकिन, वे नहीं समझे , मधुकोड़ा को भी समझाया लेकिन, बात नहीं माने। आज दोनों भुगत रहे हैं। झारखण्ड के तमाम विपक्षी पार्टी ने सरयू राय को गंभीर था सदन के लिए ज़रूरी नेता बताते हुए सभी ने अपना समर्थन सरयू राय को दिया है। सरयू राय की राजपूत समाज में अच्छी पैठ है,विपक्षके लिए सरयू राय इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि अगर वे भाजपा से छिटकते हैं तो चुनाव में इसका नुकसान भाजपा को लगभग 20 सीटों पर उठाना पड़ सकता है।

काफी पढ़े- लिखे आदमी हैं गौरव वल्लभ

गौरव वल्ल्भ के राजनीति में आने की कहानी दिलचस्प है, एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि एकबार वे जमशेदपुर में अपने छात्रों के साथ संवाद कर रहे थे। एक स्टूडेंट ने उनसे सवाल किया कि आप जो काम कर रहे हैं उससे खुश हैं या आप देश और समाज के लिए कुछ और करना चाहते हैं। इसके बाद इस सवाल का जवाब देने के लिए वे राजनीति में शामिल हुए और कांग्रेस ने उनको राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया। गौरव वल्लभ जमशेदपुर के एक्सएलआरआई (XLRI) में फाइनेंस के प्रोफेसर हैं। विदेशों में गेस्ट लेक्चरर के रूप में पढ़ाने जाते हैं। गौरव वल्लभ कई प्रतिष्टित संस्थाओं का हिस्सा रह चुके हैं। गौरव क्रेडिट रिस्क मैनेजमेंट में पीएचडी, सीए, सीएस और एलएलबी की डिग्री हासिल कर चुके हैं। फाइनेंसियल रिस्क मैनेजर भी हैं , चार्टर्ड अकॉउंटस की सबसे बड़ी संस्था आईसीएआई के डायरेक्टर रह चुके हैं। इस बार वे झारखण्ड के मुख़्यमंत्रीं रघुवर दास के खिलाफ चुनावी मैदान में हैं।