नयी दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने आज रविवार को यूपी के बरेली में बड़ा बयान दिया। संघ प्रमुख ने साफ कहा कि 130 करोड़ के इस देश का प्रत्येक नागरिक चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का हो, हिंदू है। हिंदुत्व का मतलब समझाते हुए उन्होंने कहा कि विविधताओं के बावजूद एक साथ रहना ही हिंदुत्व है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि जनसंख्या समस्या के साथ-साथ संसाधन भी है। इसलिए इस संबंध में एक नीति का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए। सरकार इसपर नीति बनाए जो तय करेगी कि एक व्यक्ति के कितने बच्चे होने चाहिए।
बताया कि भारत क्यों है हिंदू राष्ट्र
बरेली में आज श्री भागवत ‘भविष्य के भारत पर आरएसएस का दृष्टिकोण’ विषय पर स्वयंसेवकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब आरएसएस के कार्यकर्ता कहते हैं कि यह देश हिंदुओं का है और 130 करोड़ लोग हिंदू हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम किसी का धर्म, भाषा या जाति बदलना चाहते हैं। हमें संविधान से इतर कोई शक्ति केंद्र नहीं चाहिए क्योंकि हम इस पर विश्वास करते हैं। संविधान कहता है कि हमें भावनात्मक एकीकरण लाने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन भावना क्या है? वह भावना है-यह देश हमारा है और हम अपने महान पूर्वजों के वंशज हैं। हमें अपनी विविधता के बावजूद एक साथ रहना होगा, इसे ही हम हिंदुत्व कहते हैं।
दो बच्चों के कानून पर कही खरी बात
जनसंख्या नियंत्रण के तहत दो बच्चों के कानून को आरएसएस के समर्थन की खबरों को लेकर भागवत ने कहा, ‘कई जगह यह प्रकाशित किया गया था कि मैंने कहा कि सभी के दो बच्चे होने चाहिए, लेकिन मैंने ऐसा कुछ नहीं कहा। मैंने कहा कि जनसंख्या समस्या के साथ-साथ संसाधन भी है, इसलिए इस संबंध में एक नीति का मसौदा तैयार किया जाना चाहिए।’ उन्होंने कहा कि सरकार की नीति तय करेगी कि एक व्यक्ति के कितने बच्चे होने चाहिए।