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सरस्वती पूजा को ले ऊहापोह की स्थिति

नवादा  : मां सरस्वती का जन्मोत्सव बसंत पंचमी को ले इस बार ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को बसंत पंचमी पर्व मनाया जाता है।

बसंत पंचमी के दिन सिद्धि व सर्वार्थसिद्धि योग जैसे दो शुभ मुहूर्त का संयोग भी बन रहा है। इस कारण पंडितों ने इसे वाग्दान, विद्यारंभ, यज्ञोपवीत आदि संस्कारों व अन्य शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माना है। बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की आराधना के साथ ही विवाह के शुभ मुहूर्त भी रहेंगे। ऐसे में खूब शहनाई गूंजेगी।

बसंत पंचमी इस बार विशेष रूप से श्रेष्ठ है। वर्षों बाद ग्रह और नक्षत्रों की स्थिति इस दिन को और खास बना रही है।

इस बार तीन ग्रह खुद की ही राशि में रहेंगे। मंगल वृश्चिक में, बृहस्पति धनु में और शनि मकर राशि में रहेंगे। विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए ये स्थिति बहुत ही शुभ मानी जाती है।

पंडित सुरेन्द्र के अनुसार बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त वाले पर्वों की श्रेणी में शामिल है, लेकिन इस दिन गुरुवार और उतराभाद्रपद नक्षत्र होने से सिद्धि योग बनेगा। इसी दिन सर्वार्थसिद्धि योग भी रहेगा।

बसंत पंचमी 29 को श्रेष्ठ :

इस वर्ष बसंत पंचमी को लेकर पंचाग भेद भी है। इसलिए कुछ जगहों पर ये पर्व 29 और कई जगह 30 जनवरी को मनेगा। पंडित सुरेन्द्र के अनुसार पंचमी तिथि बुधवार सुबह 10.46 से शुरू होगी जो गुरुवार दोपहर 1.20 तक रहेगी। दोनों दिन पूर्वाह्न व्यापिनी तिथि रहेगी।

ग्रंथों के अनुसार यदि चतुर्थी तिथि विद्धा पंचमी होने से शास्त्रोक्त रूप से 29 जनवरी बुधवार को बसंत पंचमी मनाना श्रेष्ठ रहेगा।

मां सरस्वती की पूजा के लिए समर्पित बसंत पंचमी का पर्व इस साल  29 जनवरी दिन बुधवार को मनाया जाएगा। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, बसंत पंचमी का त्योहार माघ मास शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है जो कि इस बार 29 जनवरी 2020 को पड़ेगी।

माना जाता है कि बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से विद्यार्थियों को बुद्धि और विद्या का वरदान प्राप्त होता है। बसंत पंचमी के त्योहार पर लोग पीले वस्त्र पहनते हैं और पीले रंग के फूलों से मां सरस्वती की पूजा करते हैं।

बसंत पंचमी के दिन से ही सबसे सुहाने मौसम बसंत ऋतु की शुरुआत मानी जाती है। शास्त्रों के अुनसार बसंत पचंमी से सर्दी कम हो जाती है और गर्मी के आगमन की आहट मिलने लगती है। साथ प्रकृति रंग-बिरंगे फूलों से सजना शुरू हो जाती है।

बसंत ऋतु  फसलों व पेड़-पौधों  में फूल और फल लगने का मौसम होता है जिससे प्राकृतिक वातावरण बहुत ही सुहाना हो जाता है।

ज्योतिषशात्रियों के अनुसार, बसंत पंचमी का दिन बहुत ही शुभ होता है। इस दिन किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने के लिए मुहूर्त देखने या पंडित से पूछने की आवश्यकता नहीं होती। बसंत पंचमी को मां सरस्वती की जयंती के रूप में भी जाना जाता है।

आज के दिन ही प्रकट हुईं थी मां सरस्वती

बसंत पचंमी कथा : पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। यह देवी थीं मां सरस्वती। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह दिन था बसंत पंचमी का। तब से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी।