पटना : संसदीय राजभाषा समिति ने आज राजधानी में सरकारी कार्यालयों में हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए एक हाईलेवल समीक्षा बैठक की। इस बैठक की अध्यक्षता ओड़िसा से राज्यसभा सांसद और संसदीय राजभाषा समिति के अध्यक्ष पीके पाटशानी ने की। इस मीटिंग में चावल विकास निदेशालय, एनटीपीसी, पावर ग्रिड और गंगा बाढ़ नियंत्रण विभाग ने हिस्सा लिया। इनके अलावा और भी कई सरकारी ऑफिसों में हिंदी में हो रहे कामकाज की समीक्षा हुई। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। सरकारी कार्यालयों में जनता की भाषा में यदि काम किया जाए तो इससे सबसे ज्यादा फायदा आम लोगों को ही होगा। पीके पाटशानी ने कहा कि सरकार की बहुत सारी योजनाओं को दफ्तरों के माध्यम से ही लोगों तक पहुंचाया जा सकता है और इसमें भाषा का महत्वपूर्ण योगदान है। राजभाषा समिति के अधिकारी राजीव दास ने बताया कि पूरे देश को भाषा के आधार पर तीन भागों में बांटा गया है। ए कैटेगरी में सभी हिंदी भाषी राज्यों को शामिल किया गया है। वहीं बी कैटेगरी में पंजाब, गुजरात जैसे राज्यों को शामिल किया गया है। जबकि सी कैटेगरी में गैर हिंदी भाषी प्रदेशों को रखा गया है। उन्होंने कहा कि पटना ए कैटोगरी में आता है । राजीव ने बताया कि पटना के जितने भी केंद्रीय दफ्तर है, उसमें जो आदेश या सर्कुलर निकलता है वो द्विभाषीय होता है। हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषा मे निकलता है। आफिस के अंदर जो ड्राफ्टिंग होती है या नोटशीट बनता है, वह शत प्रतिशत हिंदी में होता है। हर छह महीने में सभी कार्यालयों की बैठक होती है जिसमें हिंदी के विकास, हिंदी के प्रचार प्रसार और हिंदी के प्रयोग की समीक्षा की जाती है। इसका नेतृत्व आयकर विभाग पटना करता है। इसके अलावे हर 3 महीने पर एक रिपोर्ट दी जाती है। यह रिपोर्ट कोलकाता, दिल्ली और इनकम टैक्स पटना को भेजा जाता है। उन्होंने आगे बताया कि गैर हिंदी भाषी राज्यों को हमलोग जो जबाब देते हैं वो द्विभाषीय होता है जबकि हिंदी भाषी राज्यों को हिंदी में ही जवाब देते हैं।
(मानस द्विवेदी)
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