संजय राउत और प्रशांत किशोर ने किया उद्धव का बंटाधार, पढ़ें कैसे?

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पटना/नयी दिल्ली : शिवसेना सांसद और उसके मुखपत्र सामना के कर्ताधर्ता संजय राउत ने हाल में कहा था कि शरद पवार को समझना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। श्री राउत ने यह बात यूं ही नहीं कही थी। जरूर इसके पीछे उनका अपना अनुभव होगा। लेकिन विश्लेषकों का मानना है कि संजय राउत भी कुछ कम नहीं। महाराष्ट्र में बाजी पलटने के साथ कहा जा रहा है कि शिवसेना की इस हालत के लिए संजय राउत और उनके बिहारी रणनीतिकार सीधे—सीधे जिम्मेदार हैं। इशारा साफ तौर पर राउत और प्रशांत किशोर की तरफ है।

हिंदुत्ववादी सोच की ठोस बुनियाद पर खड़ी भाजपा—शिवसेना की 30 वर्ष की दोस्ती ​अचानक नहीं टूटी। इसके लिए कारण बनी सीएम की कुर्सी। संजय राउत ने उद्धव ठाकरे को लगातार सत्ता का लॉलीपॉप दिखाया। ऐसा करने में उन्हें प्रशांत किशोर से मिले टिप्स ने भी खासी मदद की। लेकिन इस चक्कर में शिवसेना को जोर का झटका धीरे से लग गया। राउत की इस राजनीति ने उद्धव ठाकरे को ‘न खुदा ही मिला, न बिसाले सनम’ वाली स्थिति में पहुंचा दिया।

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बीजेपी व एनसीपी ने महाराष्ट्र में बनाई सरकार

संजय राउत ने शनिवार तड़के भी ट्वीट कर बीजेपी पर तंज कसा कि ‘जिस-जिस पर ये जग हंसा है, उसी ने इतिहास रचा है’। मगर संजय राउत के इस ट्वीट के एक घंटे बाद ही देवेंद्र फडणवीस ने बाजी पलट दी और महाराष्ट्र के सीएम पद की शपथ ले ली।

दरअसल बिहार के जदयू नेता और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के कंधे पर सवार होकर संजय राउत शिवसेना की सत्ता वाली स्क्रिप्ट रच रहे थे। लेकिन राजनीति ने एक बार फिर अपना ही रंग दिखाया। पर्दे पर चल रही फिल्म से ज्यादा बड़ी, पर्दे के पीछे की पिक्चर हो गई। शिवसेना, एनसीपी, कांग्रेस ताकती रह गईं और भाजपा मुख्यमंत्री की कुर्सी लेकर उड़ गई।

मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ लेने के बाद देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जनता ने हमें स्पष्ट जनादेश दिया था। शिवसेना ने जनादेश का अपमान किया। फडणवीस का भी इशारा साफ तौर पर संजय राउत की ओर ही था जो उनके अनुसार शिवसेना नेतृत्व को जनादेश के प्रति गुमराह कर रहे थे। फडणवीस ने साफ कहा कि महाराष्ट्र की जनता को स्थिर और स्थाई सरकार चाहिए, खिचड़ी सरकार नहीं। महाराष्ट्र के उज्जवल भविष्य के लिए भाजपा—एनसीपी साथ मिलकर काम करेंगे।

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