संगोष्ठी में वक्ताओं ने कहा, गांधी की पत्रकारिता के केंद्र में ‘भारत’

0

मोतिहारी : महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय मोतिहारी में मंगलवार को गांधी की पत्रकारिता की प्रासंगिकता पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. संजीव कुमार शर्मा ने ‘जब तोप मुक़ाबिल हो, तो अखबार निकालो…’ को उद्धृत करते हुए कहा कि महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय में इस संकल्प के साथ इस वर्ष से मीडिया अध्ययन का पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। इस तरह की संगोष्ठी से छात्रों को पत्रकारिता के विभिन्न आयामों की जानकारी मिलती है। कुलपति ने इस तरह के आयोजनों को भविष्य में भी बरकरार रखने की बात कही।

swatva

इस विषय पर संबोधन करते हुए स्वत्व मीडिया नेटवर्क के संपादक कृष्ण कांत ओझा ने कहा कि गांधी जी की पत्रकारिता के केंद्र में मनुष्य और सत्य होता था। ऐसा नहीं है कि गांधी जी की पत्रकारिता कोई नई चीज थी। उनकी पत्रकारिता उसी हजारों साल पुरानी भारतीय संस्कृति पर आधारित थी जिसकी संकल्पना आदि पत्रकार देवर्षि नारद ने रखी थी। इसी संकल्पना के तहत आधुनिक काल में बाल गंगाधर तिलक ने उसको समकालीन रूप दिया था। उसके युगानुकुल परिमार्जित रूप में गांधी की पत्रकारिता सामने आती है। गांधी की पत्रकारिता के केंद्र में भारत ही था।

वरिष्ठ पत्रकार अरुण पांडे ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पत्रकारिता के सिद्धांतों और उसके व्यावहारिक पक्ष में संतुलन कायम करने और वर्तमान परिस्थितियों के अनुकूल अपने पत्रकारिता आदर्श को बनाए रखने की नसीहत दी। उन्होंने पत्रकारिता के छात्रों से कहा कि यह पेशा सरकारी बाबू के पेशे से अलग है। इसकी चुनौतियों को स्वीकार कर आगे बढ़ने का संकल्प जिसने लिया, वह निश्चित ही पत्रकारिता के क्षेत्र में नया आयाम गढ़ने में कामयाब रहेगा।

इससे पूर्व मीडिया अध्ययन विभाग के अध्यक्ष प्रो. अरुण भगत ने विषय प्रवेश कराते हुए गांधी जी की पत्रकारिय इतिहास का क्रमबद्ध प्रस्तुतिकरण किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के शिक्षक, शोधकर्ता एवं विद्यार्थी उपस्थित थे।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here