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सामाजिक समरसता के लिए भी विश्वविद्यालय आगे आयें : राज्यपाल

पटना : ”उच्च शिक्षा केवल नौकरी के लिए ही जरूरी नहीं होती, अपितु इससे मनुष्य में संवेदनशीलता और नैतिकता का भी विकास होता है। समाज के अभिवंचित, दलित और पिछड़े वर्ग को विकास की मुख्य धारा में लाना भी आज बहुत जरूरी है।” उक्त बाते  महामहिम राज्यपाल-सह-कुलाधिपति फागू चैहान ने पटना विश्वविद्यालय, पटना के ‘103वें स्थापना दिवस समारोह’ को व्हीलर सीनेट हाऊस में आज संबोधित करते हुए व्यक्त किए।

राज्यपाल ने कहा कि हमें एक सुदृढ़ और सशक्त भारत बनाने के लिए दृढ़संकल्पित होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इसके लिए देश की एकता और अखंडता अत्यन्त महत्वपूर्ण है। राज्यपाल ने कहा कि पूरे विश्व में आज आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बनकर उभरा है। कश्मीर पर साहसिक और राष्ट्रीय एकता को मजबूती प्रदान करनेवाला आवश्यक निर्णय लेकर हमने उसका कड़ा जबाब दिया है। राज्यपाल ने कहा कि आज पूरा भारतवर्ष एक राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा और एक संविधान वाला देश होकर पूरी दुनियाँ के सामने सीना तानकर मजबूती से खड़ा है।

उन्होंने कहा कि बिहार ने इस देश को सदा सार्थक और सही नयी दिशा दिखाने का काम किया है। इस भूमि में वह ज्योति छिपी है, जो न केवल भारत को, बल्कि पूरे विश्व को आलोकित करने की क्षमता रखती है। बिहार में ही स्थित प्राचीन नालंदा तथा विक्रमशिला विश्वविद्यालय पूरे विश्व को वर्षों तक शिक्षा और ज्ञान का संदेश देते रहे है। उन्होंने कहा कि बिहार की इस ऊर्जावान धरती को आगे बढ़ाने में पटना विश्वविद्यालय की अग्रणी भूमिका रही है।

राज्यपाल ने कहा कि 21वीं सदी के तकनीकी दौर में यह विश्वविद्यालय अपने नामांकन से लेकर सर्टिफिकेट-वितरण तक के सभी कार्यों को ‘डिजिटल रूप’ में ही करने हेतु प्रयासरत है। कौशल-विकास के क्षेत्र में यह विश्वविद्यालय सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से छात्रों को स्वरोजगार दिलाने की दिशा में दिन-रात काम कर रहा है। यह बिहार का एक ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसका ‘शैक्षणिक कैलेंडर’ पूर्णतः समय पर है और परीक्षाफल भी ससमय प्रकाशित होता रहा है। इसके ‘दीक्षांत समारोह’ भी नियमित रूप से आयोजित हो रहे हैं। राज्यपाल ने विश्वविद्यालय की गतिविधियों पर संतोष व्यक्त किया।

राज्यपाल ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय के पिछले 103 वर्षों का इतिहास इस बात का साक्षी है कि इसने अपने विद्यार्थियों को 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने योग्य बनाने का काम किया है। उन्होंने सभी शिक्षकों, छात्रों एवं विश्वविद्यालय-परिवार के सभी सदस्यों का आह्वान करते हुए कहा कि आप सभी अपने सामाजिक दायित्वों का भी कुशलतापूर्वक निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने की दिशा में भी आपकी तरफ से ठोस पहल होनी चाहिए। दहेज-उन्मूलन, नशा-उन्मूलन, पर्यावरण-असंतुलन तथा कन्या-भ्रूण-हत्या आदि के विरूद्ध आपको जन-जागरण अभियान चलाना चाहिए।

राज्यपाल ने छात्र-नेताओं से भी विश्वविद्यालय के विकास में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया। राज्यपाल ने समारोह में स्नातक स्तरीय विभिन्न विषयों में ‘स्वर्णपदक’ प्राप्त करनेवाले विभिन्न महाविद्यालयों के विद्यार्थियों को डिग्रियाँ एवं पदक प्रदान किए एवं उन्हें बधाइयाँ दी। राज्यपाल ने स्वर्णपदक प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों में 75 प्रतिशत से अधिक छात्राओं की संख्या होने पर संतोष व्यक्त किया तथा कहा कि पटना विश्वविद्यालय राज्य में महिला सशक्तीकरण की दिशा में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 रासबिहारी प्रसाद ने कहा कि पटना विश्वविद्यालय एवं इसके सभी अंगीभूत काॅलेज ‘नैक ग्रेडिंग’ में बेहतरी के लिए पुरजोर प्रयास करेंगे। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से ‘दीक्षांत समारोहों’ में विभिन्न विषयों में एम.ए. के टाॅपर विद्यार्थियों को शुद्ध सोने के स्वर्णपदक प्रदान किये जायेंगे। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय इस वर्ष विकास की अवधारणा तथा पर्यावरण-चेतना को लेकर ‘अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ आयोजित करेगा।

कार्यक्रम में स्वागत-भाषण प्रतिकुलपति प्रो0 डॉली सिन्हा ने तथा धन्यवाद-ज्ञापन कुलसचिव कर्नल मनोज मिश्रा ने किया। समारोह में राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव श्री ब्रजेश मेहरोत्रा की उपस्थित थे।