सलमान के 50 लाख पर भारी गोपालगंज के कैदियों के 50 हजार, कैसे?

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पटना : कौन ज्यादा कीमती है—गोपालगंज के कैदियों के 50 हजार या फिर सलमान खान के 50 लाख? यह प्रश्न बिहार समेत समूचे देश के जनमानस को झिंझोड़ गया। देशभक्ति का जज्बा भारत के कण—कण में कैसे घुला है, इसकी झलक पुलवामा के जल्लदों को हमारी जेलों में बंद कैदियों के जज्बे ने दी। बिहार के गोपालगंज उप-मंडल जेल के कर्मचारियों और कैदियों ने जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में पिछले सप्ताह हुए आत्मघाती हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ जवानों के परिवारों के लिए सेना राहत कोष (एआरएफ) को 50,000 रुपये का दान दिया है। अधिकारियों ने कहा कि एआरएफ के पक्ष में एक डिमांड ड्राफ्ट सोमवार की दोपहर को पंजीकृत डाक के माध्यम से भेजा गया था। गोपालगंज उप-कारागार जेल में 30 महिला कैदियों सहित कुल 750 कैदी बंद हैं।

पीएम को पत्र लिख सीमा पर भेजने की गुजारिश

जेल अधिकारियों ने कहा कि पुलवामा हमले के बाद सभी कैदी घटनाक्रम को करीब से देख रहे थे और दुख की इस घड़ी में शहीद सैनिकों के परिवारों का समर्थन करने के लिए वे भी कुछ करना चाहते थे। इसके अलावा कैदियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र भी भेजा है, जिसपर कम से कम 250 कैदियों ने हस्ताक्षर किए हैं। इस पत्र में कैदियों ने लिखा है—अगर युद्ध होता है तो हम सीमा पर दुश्मन से लड़ने के लिए तैयार हैं। अगर हम लड़ते हुए मर जाते हैं, तो हम खुद को भाग्यशाली मानेंगे कि हमें शहीद कहा जाएगा और अगर हम जीवित लौटते हैं तो प्रशासन को बिना कोई परेशानी दिए वापस जेल में हम अपनी सजा काटेंगे।

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पुलवामा के शहीदों को कैदियों की नम्र श्रद्धांजलि

जेल अधीक्षक संदीप कुमार ने कहा कि, हालांकि कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं जिससे कैदी जेल परिसर के बाहर काम कर सकें, लेकिन कैदियों ने देश के लिए एक सार्थक जीवन के प्रति जो दृष्टिकोण दिखाया है, वह काबिले तारीफ है। यही जेल में सरकार के पुनर्वास कार्यक्रमों का एकमात्र उद्देश्य है। जेल अधीक्षक ने कहा कि एआरएफ को दी गई यह राशि भले ही छोटी हो, लेकिन जेले में काम के दौरान अर्जित आय से उन्होंने देशभक्ति का जो जज्बा दिखाया है उसे देख दुश्मनों के होश जरूर सन्न हो जायेंगे। मालूम हो कि पुलवामा हमले के बाद अभिनेता सलमान खान समेत देश में कई सेलेब्स ने अपने—अपने स्तर से शहिदों के लिए रकम देने की घोषणा की है। लेकिन इन सारे सेलिब्रिटियों के करोड़ों के अंशदान के बीच गोपालगंज के कैदियों का यह छोटा अंशदान अलग अनुभूति तो जरूर कराता है।

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