संग्रामपुर/पू.चंपारण : एक मारपीट के मामले में मोतिहारी कोर्ट से सजा मिलने के वावजूद प्रखंड बाल विकास परियोजना में कार्यरत महिला पर्यवेक्षिका सबिता देवी पिछले साढ़े पांच वर्षों से न सिर्फ सेवा में बनी हुईं हैं, बल्कि उंची पहुंच की बदौलत वरीय अफसरों को अंधकार में रख सरकारी राशि का लगातार उठाव भी कर रही हैं।
तुरकौलिया थाने में वर्ष 1997 में मारपीट का मामला, 6 माह की सजा
बताया जाता है कि वर्ष 1997 में सबिता देवी के भैंसुर हरिनारायण सिंह द्वारा तुरकौलिया थाने में सबिता समेत चार लोगों पर जान से मारने की नीयत से मारपीट का एक मामला दर्ज करवाया गया था। इसमें न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी मोतिहारी राकेश कुमार रजक ने टीआर न0 1127/13 दिनांक 23 अगस्त 2013 को सबिता समेत चार लोग को साक्ष्य के आधार पर सजा सुनाया था। इसमें सबिता देवी को धारा 379 के अंतर्गत अर्थदण्ड के साथ छह माह कारावास की सजा सुनायी गयी थी। जिसकी जानकारी कई लोगों के द्वारा मौखिक रूप से विभाग को दी गयी, लेकिन उच्ची पहुच होने के चलते विभागीय अधिकारियों ने साढ़े पांच सालों में जहमत नहीं उठाई। जिसके चलते पर्यवेक्षिका सरकारी पद पर कार्यरत रहते हुए मानदेय के रूप में प्रतिमाह राशि की उठाव करती रही। मामला सामने आते ही प्रखंड में कई तरह की अटकलों का बाजार गर्म हो गया है। लोग चर्चा कर रहे हैं कि आखिर पर्यवेक्षिका की कितनी उंची पकड़ है कि साढ़े पांच सालों तक विभाग को खबर तक नहीं लगी।
(उमेश गिरि)