संत की जयंती पर ‘रम’ गए नेताजी, क्या है सियासी धुनी लगाने की मजबूरी?

0

नयी दिल्ली : माघी पूर्णिमा और पांच राज्यों में चल रहा चुनावी मौसम। इस गजब संयोग ने आज भारतीय राजनीति की अजब गुलाटियां हमें दिखाई। मौका था माघी पूर्णिमा के दिन पड़ने वाले संत रविदास जयंती का। इसमें पीएम मोदी माथे पर संतरी साफा बांधे झाल—करताल बजाने लगे तो राहुल और प्रियंका गांधी तथा योगी जी वाराणसी के रविदास मंदिर में अलग—अलग समय पर साष्टांग दंडवत हो गए। पंजाब के सीएम चन्नी तो एक कदम आगे निकल लंगर चखने के साथ ही झूठे बर्त्तन मांजने लगे।

संन्यासी की भक्ति में सियासी गुलाटियों

दरअसल आज के दिन रविदास जयंती मनाई जा रही है। चूंकि पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं और रविदास समाज का एक बड़ा वोटबैंक सभी चुनावी राज्यों में है, इसलिए तरह—तरह की राजनीतिक कलाबाजियां भी शुरू हो गईं। आज सुबह से ही पक्ष—विपक्ष के तमाम दिग्गज रविदास मंदिर पहुंचे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दिल्ली रविदास मंदिर में तो राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ, पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने वाराणसी के रविदास मंदिर जाकर मत्था टेका।

swatva

देशभर में रविदास समाज का बड़ा वोटबैंक

चुनावी मौसम में संत की जयंती ने वाकई कमाल कर दिया। नेताओं द्वारा रविदास जयंती मनाने और मंदिरों में दर्शन की होड़ ने उनकी बेचैनी को भी बेपर्दा कर दिया। क्योंकि भक्ति काल के कवि संत रविदास को मानने वाले समुदाय की संख्या यूपी और पंजाब में काफी अधिक है। रविदास की जन्म स्थली वाराणसी में है लेकिन इन्हें मानने वाले देश के लगभग हर राज्य में पाए जाते हैं। खासकर पंजाब में इस समाज का वोटबैंक नतीजों पर काफी असर डालता है।

पंजाब और यूपी में निर्णायक मतदाता

यह संत रविदास जयंती का ही इफेक्ट था कि पंजाब में जो विधानसभा चुनाव पहले 14 फरवरी को होने थे, उनकी तारीख चुनाव आयोग को आगे बढ़ाकर 20 फरवरी करनी पड़ी। देशभर के दलित रविदास जयंती पर वाराणसी की यात्रा करते हैं। यूपी के वाराणसी को यह समुदाय अपना सबसे बड़ा तीर्थ मानता है। यूपी में 20 फीसदी दलितों में खासी संख्या रविदास समाज की है। वहीं पंजाब में दलितों के करीब 39 उपवर्ग हैं। इनमें भी 5 उपवर्ग ऐसे हैं जिनमें रविदासिया सिखों की बहुत बड़ी संख्या है। पंजाब में ये कुल दलितों की आबादी के लगभग 24% के करीब हैं।

साफ है कि जारी चुनावी घमासान के बीच इस आबादी को हर राजनीतिक दल अपनी तरफ करना चाहता है। यही कारण है कि एक संत की ताकत के आगे सियासी ताकत नतमस्तक हो रही है। रविदास जयंती के मौके पर बड़े राजनीतिक दलों के नेता रविदास मंदिर जाकर दर्शन कर अपने वोटबैंक को बढ़ाने की लालसा को ही सिद्ध करना चाह रहे हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here