सङक नहीं बनने से नाराज ग्रामीण करेंगे चुनाव बहिष्कार

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नवादा : नवादा जिले के पकरीबरावां प्रखंड के कबला पंचायत के हसना व खरांट के ग्रामीण लोकसभा चुनाव में वोट का बहिष्कार करेंगे। दोनों गांवों के लगभग चार सौ ग्रामीणों ने एकजुट होकर हसना स्थित प्राथमिक विद्यालय परिसर में बैठक कर यह निर्णय लिया है। सैकड़ों ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा ‘रोड नहीं तो वोट नहीं’। ग्रामीण सह नेवी के रिटायर्ड ऑफिसर शशिभूषण कुमार, उप मुखिया संजय कुमार, कपिलदेव सिंह, रामोतार सिंह, मंजीत पासवान, छोटन मांझी, निर्मला कुमारी, कौशल्या देवी, सुमित्रा देवी आदि ने बताया कि जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण ग्रामीणों ने लोकसभा चुनाव में वोट बहिष्कार का निर्णय लिया है।

सड़क नहीं बनने से नाराज हैं ग्रामीण

कबला पंचायत के हसना व खरांट गांव के लोग सड़क नहीं बनने से नाराज हैं। सड़क नहीं बनने से ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि आजादी के 72 साल बाद भी ग्रामीणों को एक अदद सड़क नसीब नहीं हुई है। चुनाव के समय नेता बड़े-बड़े वायदे करते हैं, लोगों को विकास के हवाई सपने दिखाकर वोट ले जाते हैं। परंतु चुनाव खत्म होते ही सारे वायदे धरे के धरे रह जाते हैं। जीत के बाद नेता ग्रामीणों की ओर ताकते तक नहीं हैं।

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विधायक से लेकर सांसद तक सबने किया मायूस

विधायक हो या सांसद, सबने यहां के ग्रामीणों को ठगा है। लोगों ने बताया कि सड़क निर्माण की मांग स्थानीय विधायक से लेकर सांसद तक की गई। परंतु किसी भी जन प्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। ग्रामीणों ने बताया कि सड़क निर्माण के लिए मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री को भी फैक्स किया गया। इतना सब करने के बाद भी ग्रामीण सड़क के लिए तरस रहे हैं।

महज 3 किमी. सड़क बनानी है बाकी

पकरीबरावां-रूपौ पथ से हसना व खरांट की दूरी महज 3 किमी. है। दोनों गांवों के बीच से सड़क बननी है। लोगों ने बताया कि वर्ष 2009 में सड़क निर्माण के लिए मिट्टी भरी गयी थी। परंतु बीते 10 वर्षों में स्थिति जस की तस बनी हुई है। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि रोह के सिंघना तक पक्की सड़क बनी हुई है। वहां से हसना की दूरी महज एक से डेढ़ किमी. है। जबकि खरांट की दूरी दो-ढाई किमी.है। सिंघना से भी सड़क मिला दी जाए तो ग्रामीणों की समस्याओं का समाधान काफी हद तक हो जाएगा।
बता दें इसके पूर्व एरुरी, बगड़िहा, सलेमपुर, भलकी, लक्ष्मीपुर सहित लगभग आधा दर्जन गांव के लोगों ने भी एक सड़क को लेकर वोट बहिष्कार का निर्णय लिया था। वहां भी यही मामला था।

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