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सच्चिदानंद राय को महाराजगंज से निर्दलीय उतारने का ऐलान

पटना : चुनाव के इस माहौल में पटना में 31 मार्च को संपन्न ब्रह्मजन एकता परिषद् की बैठक से बिहार की राजनीति फिर गरम होने लगी है। इस बैठक में सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर भाजपा के एमएलसी सच्चिदानंद राय को महाराजगंज से निर्दलीय लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए कहा गया। इसके बाद एनडीए में सीट बंटवारे का गणित अब फिर से उलझता दिख रहा है। किसी भी कीमत पर चुनाव जीतने की मानसिकता में बिहार की राजनीति कुछ ऐसे मुकाम पर पहुंच गयी है जहां उम्मीदवारी को लेकर जातीय भावनाओं की लहर उठने लगती है। जातीय भावनाओं की ऐसी लहरें अनपेक्षित परिणाम भी दे जाती हैं। दरअसल, राजनीतिक रूप से जागरूक बिहार में चुनाव के अवसर पर जातीय अस्मिता एवं उससे जुड़ी भावनाएं अचानक तेज हो उठती हैं। इस बैठक में बिहार के सभी क्षेत्रों से शामिल प्रतिनिधियों ने एक स्वर से कहा कि भाारतीय जनता पार्टी के साथ एकजुट होकर खड़ा रहने वाले ब्रह्मजनों की चुनाव में घोर उपेक्षा की गयी है। आरोप लगाया गया कि नेतृत्व ने इस वर्ग को अपमानित करने के लिए जानबूझकर ऐसा किया। भाजपा को अब इस वर्ग का वोट शायद नहीं चाहिए। इनका कहना है कि ऐसी उपेक्षा के बाद ब्रह्मजन चुप नहीं बैठेंगे। हम अपने उम्मीदवार खड़े करेेंगे। जहां हमारे उम्मीदवार नहीं होंगे, वहां हम नोटा का प्रयोग करेंगे। हम अपने वोट के महत्व को स्थापित करेंगे।

1 COMMENTS

  1. यही जातीय उन्माद कुछ कथित समाज के नेताओं द्वारा पैदा किया जाता रहा है। जिस कारण सर्व समाज में भूमिहार जाति की स्वीकार्यता घटती गई है। आज प्राथमिकता जाति और मजहब के काॅकटेल की राजनीति को परास्त करने की है।
    चार सीट राजग में मिला है, यह थोङा कम है। लेकिन, हमें मुख्य शत्रु को परास्त करने के लिए इतना त्याग करना पङेगा।
    यह उर्जा फिलहाल बचा कर रखने की जरूरत है।
    यह सभा ब्राह्मणों को साथ लेकर एक राजनीतिक दल का निर्माण करे। समाज के बीच जाकर संगठन को धार दे। फिर अन्य पार्टीयों से सम्मान जनक समझौता करे। बहुत छोटे छोटे दल हैं, वीआईपी , रालोसपा, हम । एक बेहतर समीकरण बनाया जा सकता है। विक्षोभ को सही दिशा दें। आप लोग समाज के महाजन लोग हैं। नोटा और विद्रोह समाज को मुंह दिखाने लायक नहीं छोङेगा।
    आज का यही तकाजा है।

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