पटना: पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में आज संकल्प रैली आयोजित कर एनडीए ने 2019 के लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंक दिया। रैली का मुख्य आकर्षण पीएम नरेंद्र मोदी और बिहार सीएम तथा जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार का 10 वर्षों के अंतराल के बाद किसी राजनीतिक मंच पर एकसाथ आना है। सोने पर सुहागा यह कि इन दोनों एनडीए के सितारों के साथ केंद्रीय मंत्री और लोजपा अध्यक्ष रामविलास पासवान भी रैली के मंच से एनडीए की हुंकार भरेंगे। आइए जानते हैं, इस रैली के प्रभाव और मायने।
10 वर्ष बाद मोदी—नीतीश एक राजनीतिक मंच पर
बिहार में यह पहला अवसर होगा जब एनडीए के ये तीनों दिग्गज एक साथ किसी रैली को सम्बोधन देंगे। हालांकि इससे पहले सरकारी कार्यक्रमों में ये तीनों नेता एक साथ देखे गए हैं। इस रैली में ये दिलचस्प बात होगी कि लगभग 10 साल बाद पीएम मोदी और बिहार सीएम नीतीश कुमार किसी चुनावी सभा को एक साथ संबोधित करेंगे। मतलब ये पहली मर्तबा होगा जब बिहार के सीएम नीतीश कुमार, नरेंद्र मोदी को फिर से पीएम बनाने के लिए जनता से अपील करेंगे। हालांकि 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जुबानी जंग काफी चर्चित रही थी लेकिन 4 साल के दौरान सियासत की तस्वीर काफी बदल चुकी है। तब 2013 में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनने पर एनडीए के साथ का 17 वर्षों का पुराना नाता एक झटके में तोड़ दिया था।
रामविलास की मौजुदगी सोने पे सुहागा
बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। भाजपा और जेडीयू 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली हैं, वहीं रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा 6 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़ा करेगी। भाजपा, जदयू और लोजपा की बिहार में गठबंधन सरकार है, साथ ही मोदी-नीतीश के संबंध भी नए दौर में पहुंच चुके हैं। ऐसे में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पटना में एनडीए की इस रैली में जब दोनों नेता एक सियासी मंच पर दिखेंगे तो सभी की नजरें उन्हीं पर टिकी रहेंगी। पीएम मोदी और नीतीश कुमार दोनों हाल के वर्षों में कई बार सरकारी और धार्मिक कार्यक्रमों में मंच साझा कर चुके हैं। लेकिन जुलाई 2017 में बीजेपी के साथ जेडीयू की दोबारा दोस्ती होने के बाद यह पहला मौका होगा जब पीएम मोदी और नीतीश किसी सियासी रैली में एक साथ नजर आएंगे।
गांधी मैदान में सुरक्षा के खास इंतजाम
संकल्प रैली को लेकर न केवल कार्यक्रम स्थल बल्कि पूरी राजधानी की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। 2014 में इसी गांधी मैदान में जब मोदी एक रैली को संबोधित कर रहे थे, तब बम धमाका हुआ था। उस घटना को देखते हुए इस बार पीएम मोदी की सुरक्षा को लेकर ज्यादा सतर्कता बरती जा रही है। अधिकारियों ने बताया कि पीएम की रैली में सुरक्षा के लिए पुलिस के 4,000 जवान तैनात रहेंगे। इसके अलावा स्थानीय रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंड, अस्पताल और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। इस क्रम में सभी आने-जाने वाले वाहनों की जांच की जाएगी। गांधी मैदान के चप्पे-चप्पे की जांच मेटल डिटेक्टर और खोजी कुत्तों द्वारा की जा रही है। रैली में टिफिन, बोतल, बैग, चाकू, छुरी जैसी वस्तुओं को ले जाने की अनुमति नहीं है। ऐसी वस्तुओं को जांच के दौरान ही मैदान से बाहर रखवाने के निर्देश आयोजकों को दिए गए हैं। गांधी मैदान क्षेत्र के आसपास पटाखा ले जाने एवं उपयोग करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध है।