पटना: राजद के स्थापना दिवस समारोह से आज जहां लालू प्रसाद के छोटे पुत्र और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव गायब रहे, वहीं काफी देर से पहुंचे बड़े पुत्र तेजप्रताप ने खुलेआम दावा कर दिया कि, ‘मैं ही दूसरा लालू’ हूं। आज सुबह इस समारोह के शुरू में पार्टी की लाज पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने रखी। पार्टी कार्यालय में पहुंच कर विधिवत उन्होंने लालू प्रसाद के लक्ष्यों को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उस समय तक उनके दोनों बेटों के लिए लगी कुर्सीयां खाली ही पड़ी थीं। राबड़ी के साथ इस मौके पर शिवानन्द तिवारी तथा राम चन्द्र पूर्वे भी मौजूद थे।
तेजस्वी व तेजप्रताप के मेकओवर की चर्चा अधिक
राजद के स्थापना समारोह में कार्यकर्ताओं के बीच लालू प्रसाद के दोनों बेटों के स्टाइल पर काफी चर्चा हुई। राजनीति व विधानमंडल में अपने सवालों से अधिक, बदल रहे लुक के कारण इन दिनों दोनों लालू पुत्र चर्चा में हैं। यही नहीं, दोनों की राजनति की दिशा भी चर्चा में है।
राजद स्थापना दिवस के साथ ही आज तो तेजस्वी सदन में भी नहीं दिखे। वैसे भी वे अनिच्छुक होकर ही कल विधानसभा में पहुंचे थें। बिल्कुल शांत। दूसरी तरफ तेजप्रताप नित नए और निराले अंदाज में दिख रहे हैं। जहां स्थापना दिवस समारोह में वे देर से पहुंचे और आते ही धमाका कर दिया कि वे ही राजद के दूसरे लालू हैं। यानी मतलब साफ है कि उन्होंने राजद की ड्राइविंग सीट संभालने के लिए पूरा मन बना लिया है। वे अपने लुक पर भी काफी सजग हैं। अपने लमबे काले बालों को मेकओवर करा कर घुंघराले बनवा लिए हैं। वहीं चन्दन-टीका, और पायजमा-कुर्ता उनको कुछ अलग अंदाज में जरूर पेश कर रहा है।
लेकिन लालू होना इतना आसान भी नहीं। चर्चा में तो लालू की भी आदत थी रहने की। पर, उसमें मेसेज हुआ करता था। ठेठ गंवई देसज अंदाज में लालू कभी गरीबों की झुग्गियों में पहुंच कर बच्चों के बाल कटवाने लगते थ्ेा तो कभी अंग्रेज की तरह कोट-टाई और हैट पहने हाथ में रूल लेकर रात में कहीं निकल जाते थे। ये सब उन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बाद करना शुरू किया। स्थापित होकर। पूरे कंफिडेस के साथ। पर, आज तेजस्वी ने राजद के स्थापना दिवस समारोह में नहीं पहुंच कर एक अलग चर्चा खड़ा कर दिया।
राजद के कई नेता एक-दूसरे का मुंह ताकते हुए कहना शुरू कर दिया कि उन दोनों भाईयों के मेकओवर से ही फुर्सत नहीं है। पार्टी और इसके सिद्वान्तों से उन्हें क्या लेना-देना। माने, पार्टी के नेता भी दोनों के चलन से संतुष्ट नहीं हैं।