पटना : राजद की नेशनल एक्जीक्यूटिव कमिटी की बैठक में यह तस्वीर साफ उभरी कि पार्टी में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा। वहां लालू एन्ड पैमिली में राजनीति की बागडोर को अपने हाथ में लेने के लिए खींचतान तो चल ही रहा है, दूसरे नेताओं में में भी अहं की लड़ाई है।
बैठक के प्रथम दिन जब पार्टी के नेशनल वाईस प्रेंसिडेंट शिवानन्द तिवारी ने तेजस्वी यादव को संघर्ष करने को उत्साहित करते हुए याद दिलाया कि उनकी पार्टी बिहार में मजबूत स्थिति में है। 80 विधायक हैं और असंख्य समर्थक। तब पार्टी के भीतर चर्चा होने लगी कि बाबा अब उपमुख्यमंत्री रहे तेजस्वी को नसीहत देने लगे। लालू परिवार में भी इस पर चर्चा शुरू हुई। लालू प्रसाद की बड़ी बेटी मीसा भारती ने इसे गंभीरता से लेते हुए दूसरे दिन उनके एक सवाल के जवाब में अटपटा सा जवाब दिया कि उनके द्वारा भेजे गये मोबाईल पर मेसेज इतना महत्वपूर्ण नहीं था कि वह इसका जवाब देना जरूरी था। यह सुनते ही वरिष्ठ नेता व लालू परिवार के पुराने मित्र बाबा चुप होकर बैठ जाना ही मुनासिब समझे। हालांकि, सूत्र बतातें हैं कि वे चुप बैठने वाले नहीं। उन्होंने संघर्ष के दिनों में लालू प्रसाद का साथ दिया है तो पार्टी को सींचा भी है।
इससे इतर, बैठक में सीनियर लीडरों के बैठने की व्यवस्था भी प्रोटोकॅाल के अनुसार नहीं थी। यही कारण था कि सांसद अशफाक करीम भड़क उठे तथा सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिये।
सूत्रों ने बताया कि बैठक के बाद रामचन्द्र पूर्वे और शिवानन्द तिवारी ने अलग से लम्बी गुपचुप वार्ता की और अनुशासन कायम करने की भी बात उठायी।
पार्टी के लोगों ने बताया कि मीसा भारती पार्टी पर हावी होना चाहती हैं। वजह साफ है- एक तो सांसद हैं दूसे लालू की बेटी। जानकारी यह भी मिली कि जब पार्टी बैठक में बाबा ने अपने अनुभवों के आधार पर कुछ सलाह दी तो मीसा एंड कम्पनी को खराब लगा। और, दूसरे दिन बाबा को उन्होंने ऐसा जवाब दिया कि वे निःशब्द हो गये।