पार्टी छोड़ने वाले छह में तीन विधायक यादव
राजद के यादवी दुर्ग में नीतीश कुमार के अचूक तीर से ढहने लगी है- लालू-राबड़ी की राजनीतिक विरासत। अभी जो छह विधायकों ने राजद का दामन छोड़ कर जद-यू में शामिल हुए, उनमें तीन यादव हैं। दो तो ऐसे यादव परिवार निकी राजनीतिक धाक पटना से लेकर दिल्ली तक थी।
वर्ष 1990 के पूर्व लालू प्रसाद बोला करते थे कि- काश! मेरी ताकत रामलखन सिंह जैसी हो जाती। तो हम बता देते कि शक्ति किसको कहते हैं ? राजनीति कैसे होती है? बेशक! भगवान ने उनकी सुन ली और पूर्व मुख्यमंत्री दारोगा प्रसाद राय ने उनकी भावना की हुंकार को समझ भी ली। इसी भावना को देखते हुए उन्होंने लालू प्रसाद को प्रामोट भी किया। लालू प्रसाद की ताकत भी 2005 तक ऐसी विस्तार ली कि दिल्ली के तख्ता को भी उलट-पुलट करना चाहे। पर, काल का चक्र बदला और सत्ता के मद में सरकारी खजाने में इस कदर हाथ डाला कि उनके ही हाथ नहीं बल्कि पूरे परिवार के हाथ क्या पैर तक जलने लगे।
जयवर्धन यादव पटना के यादवों में करेंगे राजद का विरोध
उन्हीं दो दिग्गज राजनीतिक यादवों की विरासत संभाले वारिसों में एक पालीगंज से विधायक जयवर्धन यादव और सारण में दारोगा प्रसाद के पुत्र चन्द्रिका राय को नीतीश कुमार ने चुनाव के ऐन पहले खुद में मिला लिया। जयवद्र्यन कभी शेरे-ए-बिहार कहे जाने वाले राम लखन सिंह यादव के पोते हैं। इनके पिता प्रकाश चन्द्र भी सांसद-विधायक ाह चुके हैं। राजनीति की तीसरी पीढ़ी की बागडोर अभी जयवद्र्यन के हाथों हैं।
पार्टी छोड़ते जयवर्धन यादव ने सीधा मीसा भारती पर आरोप लगाया कि उन्हें कई तरह से वह प्रताड़ित करतीं थीं। सम्मान की बात तो दूर कभी ढ़ग से बात भी नहीं करतीं थीं। उन्होंने पूरे स्वाभिमान के साथ वह एक शेर-ए-बिहार के पोते हैं और राजनीति में उनका परिवार बेदाग रहा है। उनका इशारा लालू परिवार से था-जो कई तरह के घोटाले-घपले के आरोपी हैं। हालांकि आरोप तो राम लखन सिंह यादव पर भी लगे थे-पर उन्हें जांच के बाद क्लीन चिट मिल गया था। पटना जिले में यादवों के गढ़ में जहां लालू प्रसाद का भी नहीं चलता था, वहां राम लखन सिंह के लिए लोगों का सम्मान का भाव अभी भी है। जैसे, बाढ़, मनेर तथा दानापुर का यादवी इलाका। इसके पीछे कारण बताया जाता है कि उक्त जगहों पर राम लखन सिंह ने यादवों को राजनीति में न केवल प्रोमोट किया बल्कि प्रेरणा भी दी।
सारण में चन्द्रिका राय घरेंगे राजद को
दूसरा परिवार दारोगा प्रसाद के पुत्र चन्द्रिका यादव हैं। एक सुसंस्कृत यादव परिवार की छवि इनकी पूरे बिहार है। अलग बात है कि उनकी पुत्री ऐश्वर्या से तेजप्रताप के साथ विवाद होते विदित हो गया था कि वह जद-यू में ही जाएंगे। पर विधिवत कल पार्टी में शामिल होते स्पष्ट हो गया कि अब राजद का यादवी दुर्ग में नीतीश का सध तीर-निशाना काम करने वाला है। हालांकि सूत्रों ने बताया कि राजद के यादवी दुर्ग में विस्फोट अभी बाकी है। इस रहस्य को पाॅलिटिकल लोग अभी उदघाटित नहीं कर रहे। पर, विश्लेषकों का कहना है कि विस्फोटक का रिमोट कंटोल खुद न्ीतीश कुमार के पास चला आया है। वह हैं-चन्द्रिका राय। विस्फोटक साबित होंगी-ऐश्वर्या राय।
ऐश्वर्या राय बन सकतीं हैं तेजस्वी के लिए विस्फोटक!
दबी जुबान चर्चा है कि अगर तेजस्वी अधिक शोर मचाएंगे तो मैदान में खुद ऐश्वर्या को बम की तरह प्रयोग कर सकता है-जद-यू। ऐश्वर्या राजनीतिक महत्वाकांक्षा अब पालने लगी हैं। खासकर, जब से तेजप्रताप के साथ उनका तलाक प्रकरण आया है तब से वह प्रतिशोध की ज्वाला में धधकने लगी हैं। सूत्र बताते हैं कि राबड़ी के तानों को याद कर अभी भी वह बदलाल लेने की बात करने लगती हैं, जिन्हें चन्द्रिका राय होशियारी से दबाते रहे हैं। पर, कहना मुश्किल है कि वह कब विस्फोट कर जाए।