Swatva Samachar

Information, Intellect & Integrity

Featured बिहार अपडेट बिहारी समाज राजपाट

… अब किसानों के समर्थन में राजद, 2 दिसम्बर को विरोध प्रदर्शन

पटना : कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार छह दिनों से जारी है। दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर किसान संगठनों ने डेरा जमाया हुआ है और सरकार से गुहार लगा रहे हैं। इस प्रदर्शन के बीच आज दोपहर तीन बजे किसान संगठनों और सरकार के बीच बातचीत भी हुई है। इस बातचीत में केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सरकार का पक्ष रखें और किसानों को मनाने की कोशिश किया। ये बातचीत दोपहर तीन बजे विज्ञान भवन में हुई।

वहीं बिहार में कृषि कानून को काला कानून बताते हुए कल 2 दिसम्बर को प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस पर राजद द्वारा सक्रिय भागीदारी का निर्णय लिया गया है।

पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने बताया कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानन्द सिंह ने किसान बिरोधी काले कानून के खिलाफ किसानों के इस स्वतःस्फूर्त आन्दोलन को सक्रिय समर्थन देते हुए पार्टी पदाधिकारियों , कार्यकर्ताओं और समर्थकों से कल 2 दिसम्बर को आहूत राष्ट्रव्यापी प्रतिरोध दिवस को ऐतिहासिक रूप से सफल बनाने की अपील की है।

राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने कृषि कानून को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय जनता दल इस कानून का विरोध करती है और इसके विरोध में कल 2 दिसम्बर 2020 को राज्य भर में प्रदर्शन कर कृषि कानून को वापस लेने और सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी देने की माँग करेगी।

उन्होंने बिहार सरकार को किसान और गरीब विरोधी बताते हुए कहा कि किसान बिरोधी इस षडयंत्र के सबसे बड़े भागीदार और काले कानून बनाने के सहयोगी नीतीश कुमार हैं।

बिहार में 2006 में हीं एपीएमसी बंद कर दिया गया था

इसके आगे उन्होंने कहा कि बिहार में 2006 में हीं एपीएमसी बंद कर दिया गया था, जिसका परिणाम यह हुआ कि बिहार सरकार के कुल खाद्यान खरीद के लक्ष्य का 1 प्रतिशत खाद्यान का भी खरीद नहीं हो सका। यदि एपीएमसी एक्ट में संशोधन से किसानों को लाभ मिलता तो बिहार के किसानों की सम्पन्नता दिखाई पड़ती। जबकि 2006 के बाद बिहार के किसानों की स्थिति काफी बदतर हो गई है। और किसान खेती छोड़कर बड़ी संख्या में रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि स्वामीनाथन आयोग के अनुशंसा को लागू करने और कृषि लागत का दुगना मूल्य देने का आश्वासन देकर सत्ता में आयी एनडीए की सरकार किसानों को काॅरपोरेट घरानों के हवाले कर दिया है।