पटना : बिहार में सत्ताधारी गठबंधन का आपसी कलह कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। एनडीए में जिस तरह खुद में ही घमसान हो रहा है, वह एक बड़े बदलाब का संकेत दे रहा है। बिहार सरकार के दो मंत्रियों का नीतीश कुमार पर हमला ने बिहार की पूरी सियासी माहौल में गर्मी बढ़ा दी है।
भाजपा कोट से सरकार में मंत्री सम्राट चौधरी और वीआईपी सुप्रीमो और सरकार के मंत्री मुकेश सहनी ने एनडीए में मुश्किल खड़ी कर दी है। वहीं एनडीए में आपस में ही मची घमासान पर विपक्ष को हमलावर होने का एक और मौका मिल गया है। विपक्षी दलों द्वारा कहा गया है कि नीतीश सरकार में जीतन राम मांझी और मुकेश सहनी को कोई भाव नहीं दिया जा रहा है। वहीं मुकेश सहनी के उत्तर प्रदेश अभियान को लेकर कहा कि यह भाजपा की छोटे दल के प्रती उनकी मानसिकता को बतलाती है।
मालूम हो कि इससे पहले बिहार सरकार के पंचायती राज्य मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि नीतीश कुमार मजबूरी के मुख्यमंत्री हैं। यदि 2015 के विस चुनाव में भाजपा को हार नहीं मिली होती तो वर्तमान में बिहार में भाजपा का मुख्यमंत्री होता।
वहीं सम्राट चौधरी के बयान पर पलटबार करते हुए जदयू ने कहा कि भाजपा को साल 2015 का परिणाम अच्छे से याद कर लेना चाहिए। बिहार में ये जांची-परखी बात है कि नीतीश कुमार जिस गठबंधन का नेतृत्व करते हैं, जीत उसी गठबंधन को मिलती है। इसलिए नेतृत्व पर टिप्पणी सही नहीं है। एक तो सम्राट चौधरी हमारे सहयोगी दल के नेता हैं और दूसरा ये कि बिहार सरकार के मंत्री हैं, उन्हें इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।