पटना : कृषि कानून को लेकर पंजाब के किसानों द्वारा जमकर विरोध हो रहा है। इस बिल को लेकर हर कोई अपने अपने तरीके से विरोध कर रहा है। तो भारतीय जनता पार्टी देशभर में कृषि चौपाल तथा प्रेसवार्ता कर इस बिल के फायदे को बता रही है। इसी क्रम में केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने उदहारण देकर कृषि बिल का फायदा बताया है।
दरअसल, कुछ दिनों पहले बिहार के समस्तीपुर जिले के मुक्तापुर इलाके के किसान ओम प्रकाश यादव ने गोभी लगाई थी। गोभी की फसल की पैदावार अच्छी हुई है, लेकिन मंडी में सही दाम नहीं मिलने के कारण किसान ने अपनी पूरी हरी-भरी गोभी के खेत में ट्रैक्टर चलाकर उसे नष्ट कर दिया था।
रिपोर्ट के मुताबिक किसान को गोभी की सही कीमत न मिलने की वजह से नाराज़ था। किसान को गोभी का रेट एक रुपए प्रति किलो मिल रहा था। इसी बात से नाराज़ ओम प्रकाश यादव ने गोभी की फसल नष्ट कर दिया। उनका कहना है कि बीज खरीदकर खेती करने और फसल उगने से लेकर मंडी तक पहुंचाने तक की कीमत भी ऊपर नहीं हो पा रही, फायदा मिलना तो दूर की बात है।
इसको लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कल मीडिया के द्वारा मुझे खबर मिली थी कि बिहार के समस्तीपुर के मुक्तापुर गांव के किसान ओम प्रकाश यादव को अपने खेत में उगाई गोभी की फसल का स्थानीय आढ़त में मात्र एक रुपया प्रति किलो भाव मिल रहा था। निराश हो कर उन्होंने अपने खेत के कुछ हिस्से पर ट्रैक्टर चलवा कर फसल को नष्ट कर दिया।
रविशंकर ने कहा कि मैंने अपने विभाग के कॉमन सर्विस सेण्टर को निर्देश दिया कि इस किसान से संपर्क कर इनकी फसल को देश के किसी भी बाज़ार में उचित मूल्य पर बेचने का प्रबंध किया जाये। CSC के डिजिटल प्लेटफॉर्म ई-किसान मार्ट पर इस किसान को दिल्ली के एक खरीदार ने दस रूपये प्रति किलो का मूल्य ऑफर किया।
किसान और खरीदार की आपसी सहमति के बाद कुछ ही घंटों में किसान के बैंक खाते में आधी राशि एडवांस के रूप में पहुँच गई। आज मुझे पता चला है कि न सिर्फ ट्रांसपोर्ट उपलब्ध करवाया गया, बल्कि बची हुई राशि भी किसान के बैंक खाते में जमा हो गई है और समस्तीपुर की गोभी दिल्ली के लिए रवाना हो गई है।
इस प्रक्रिया को लेकर केंद्रीय मंत्री रविशंकर ने कहा कि अब नरेंद्र मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों ने किसान को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दे दी है। बिहार का ये किसान जिसे स्थानीय मंडी में मिल रहे दाम से निराश हो कर अपनी फसल नष्ट करने पर मजबूर होना पड़ा था, अब स्थानीय दाम से दस गुना अधिक दाम पर दिल्ली में अपनी फसल बेच पाया है।