रथयात्रा से रामलला तक के किरदारों की नियति

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किसी भी घटना में कई किरदार होते हैं, जिनकी नियति कालचक्र तय करता है। राम जन्मभूमि मामले में भी यही हुआ है। दरअसल कहानी शुरू होती है 7 अगस्त, 1990 से तत्कालीन प्रधानमंत्री वी.पी. सिंह ने मंडल कमीशन लागू करने की घोषणा कर दी। जिसके बाद पूरे देश में इस फैसले को लेकर समर्थन और विरोध में आंदोलन शुरू हो गए थे। भाजपा और संघ ने मंडल कमीशन की काट के लिए राम मंदिर निर्माण को लेकर आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 को गुजरात के सोमनाथ से रथयात्रा शुरू की और रथ के सारथी थे नरेंद्र मोदी।जिसे विभिन्न राज्यों से होते हुए 30 अक्तूबर को अयोध्या पहुंचना था।

लेकिन, 23 अक्टूबर 1990 को बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के आदेश पर तब के पुलिस अधिकारी रामेश्वर उरांव जो 1990 में बिहार पुलिस मुख्यालय में डीआईजी थे। और आईएएस अधिकारी व तब के समस्तीपुर के जिलाधिकारी आरके सिंह ने समस्तीपुर में ही आडवाणी को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद आडवाणी को दुमका के मसानजोर ले जाया गया। इस घटना के बाद देश की राजनीति में परिवर्तन आना शुरू हुआ और बीजेपी को इससे बहुत फायदा हुआ और आने वाले समय में भी फायदा मिलने की संभावना है।

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आडवाणी को गिरफ्तार करने की योजना में शामिल डीआईजी रामेश्वर उरांव ने 2004 में वीआरएस लेकर कांग्रेस का दामन थामे थे। फिर लोहरदगा से लोकसभा सांसद बने बाद में केंद्र की यूपीए सरकार में राज्यमंत्री बने। लेकिन, 2009 व 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। 2019 के चुनाव में टिकट कटने के बाद उरांव को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। आरके सिंह जिन्होंने भाजपा के लौहपुरूष लालकृष्ण आडवाणी को 23 अक्टूबर 1990 को समस्तीपुर में गिरफ्तार किया था वही 2014 व 2019 के आम चुनाव में आरके सिंह ने भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे और मोदी सरकार में मंत्रालय संभाल रहे हैं।

आडवाणी के गिरफ्तारी का फायदा भाजपा को आज तक मिल रहा है। लेकिन, भगवा का विरोध करके लालू पिछड़े वर्ग के साथ-साथ अल्पसंख्यक समुदाय के नेता के रूप में खुद को स्थापित किये। लेकिन, आज आडवाणी और लालू को राजनीतिक सुर्ख़ियों से दूर -दूर तक कोई नाता नहीं है। एक को भाजपा ने मार्गदर्शक मंडली में भेज रखा है तो दूसरा यानी कि लालू चारा घोटाले के जुर्म में जेल में हैं। जेल में डलवाने वाला व्यक्ति जेल में है और जेल ले जाने वाला व्यक्ति राजनीति के मलाई का आनद ले रहे हैं और रथ का सारथी आज देश का सारथी बना हुआ है।

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