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राष्ट्रीय पर्व पर ही क्यों खुलता है इस स्वास्थ्य केंद्र का ताला?

नवादा : नवाद में पकरीबरांवा प्रखंड अंतर्गत धमौल उप स्वास्थ्य केंद्र पिछले कई महीनों से बंद पड़ा है। मरीज आते हैं और यहां ताला लटका देख मायूस होकर चले जाते हैं। यह क्रम ​लगभग छह माह से चल रहा है। इस उप स्वास्थ्य केंद्र के चालू न होने के संबंध में ग्रामीणों द्वारा कई बार वरीय अधिकारियों से लेकर स्थानीय पदाधिकारी एवं जनप्रतिनिधियों तक अपनी बात पहुंचाई गई। बावजूद विभाग कुंभकर्णी निद्रा में है।
इस उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉ रामकुमार के बाद अब तक किसी भी डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई है। जिसके कारण उप स्वास्थ्य केंद्र ज्यादातर बंद ही रहता है। विशेष मौके जैसे स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, टीका दिवस आदि पर ही यहां का ताला खुलता है और वो भी मात्र चंद घंटों के लिए। ग्रामीण इस दृश्य को देख कर कहते हैं कि जो खुद अपने स्वास्थ्य की देखभाल नहीं कर सकता, भला वह दूसरों की क्या देख भाल करेगा? देखरेख के अभाव में उप स्वास्थ्य केंद्र का भवन भी जर्जर हो चुका है। कई अर्द्धनिर्मित भवन इसकी प्रशासनिक उपेक्षा की गवाही दे रहे हैं। यही नहीं यहां के भवनों में मवेशी भी बांधे जाते हैं। ऐसे में यदि स्वास्थ्य सुविधा बहाल की भी जाती है तो भवन की व्यवस्था पहली प्राथमिकता होगी। इस उप स्वास्थ्य केंद्र पर समीपवर्ती गांव के लगभग पचास हजार से भी अधिक लोगों के स्वास्थ्य का जिम्मा है। बावजूद यह खुद तारणहार के इंतजार में है।

नवादा, शेखपुरा तथा जमुई से आते हैं मरीज

बताया जाता है कि कुछ माह पहले यहां दो एएनएम की नियुक्ति की गई थी। जिसमें एक की प्रतिनियुक्ति बुधौली कर दी गई है। तब से इस स्वास्थ्य केंद्र की दशा और भी चरमरा गई। तीन जिले क्रमशः नवादा, शेखपुरा तथा जमुई के लाभार्थी धमौल उप स्वास्थ्य केंद्र से लाभान्वित होते हैं। यह 3 जिलों की सीमा पर अवस्थित है। जिसके कारण जिलों के समीपवर्ती गांव इससे लाभान्वित होते रहे हैं। बताते चलें कि नवादा, जमुई एवं शेखपुरा की सीमा पर अवस्थित होने के कारण यह उप स्वास्थ्य केंद्र बहुत ही महत्वपूर्ण है। जिसमें नवादा जिले के दर्जनों गांव सहित शेखपुरा जिले के अफरडीह, ओरानी, चोढ, महुली तथा जमुई जिले के महतपुर, कैथा, तेलार, आढा, ताजपुर, चंद्रदीप सहित दर्जनों गांव के मरीज यहां आते हैं। लेकिन निराशा के सिवाय उन्हें कुछ हासिल नहीं होता। विषम परिस्थितियों में रोगियों को या तो 12 किलोमीटर दूर प्रखंड मुख्यालय जाना पड़ता है या 11 किलोमीटर दूर जमुई जिले के अलीगंज प्रखंड लाया जाता है।
वर्तमान में यहां संसाधनों की भी घोर कमी है। जर्जर भवनों में मरम्मत का कार्य तो किया गया है लेकिन बाहर ही बाहर। वर्षों पूर्व यहां नए भवनों का निर्माण शुरू किया गया था जो आज भी अधर में लटका है। लोगों की शिकायत पर चिकित्सकों ने अस्पताल की जांच के लिए लिखा व विभाग को रिपोर्ट भी सौंपा। परंतु आज तक कुछ भी नहीं हो पाया। ग्रामीण बताते हैं कि वर्षों पूर्व इस उप स्वास्थ्य केंद्र में डॉ रामकुमार प्रसाद की प्रतिनियुक्ति की गई थी। तब यह अस्पताल अस्तित्व में आया था। उनके तबादले के बाद स्थिति यथावत हो गई। इसके उपरांत एक चिकित्सक रामाकांत निषाद को यहां की जिम्मेदारी सौंपी गई जिनकी प्रतिनियुक्ति पकरीबरावां पीएचसी कर दी गई है।उसके बाद तो फिर किसी ने इस अस्पताल की सुध नहीं ली।