राष्ट्रीय परिसंवाद : भारतीय शिक्षा में नेशन स्प्रिट का लाना बेहद जरुरी
पटना : आज जेडी वीमेंस कॉलेज पटना के सभागार में राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद नयी दिल्ली और पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में राष्ट्रीय परिसंवाद का आयोजन किया गया। परिसंवाद में “उच्च शिक्षा में शाश्वत मूल्य” विषय पर देश भर से आए विद्वानों ने अपने—अपने विचार रखे। परिसंवाद का उद्घाटन पाटलीपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर गुलाबचंद राम जायसवाल ने किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय समाज विज्ञान परिषद के संरक्षक प्रोफेसर पीवी कृष्णा भट्ट थे। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता राष्ट्रीय विज्ञान परिषद की अध्यक्षा प्रोफेसर शीला राय थी।
इस अवसर पर कुलपति महोदय ने कहा कि आजादी के बाद देश में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में भरी गिरावट आयी है। इसका कारण स्वतंत्र भारत में अभारतीय शिक्षा पद्धति है। वर्तमान की उच्च शिक्षा में नैतिकता का घोर अभाव है। गुरुकुल परम्परा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमें भारत की उच्च शिक्षा के विकास के लिए सनातनी और आधुनिक शिक्षा दोनों का समावेश करना जरुरी है। पंडित मदन मोहन मालवीय का उदहारण देते हुए कहा कि बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में सनातनी मूल्यों आधारित शिक्षा का विकास हुआ है। पाटलिपुत्र यूनिवर्सिटी में भी हमें शाश्वत मूल्य आधारित वातावरण का निर्माण करना होगा।
कार्यक्रम की मुख्य वक्ता प्रोफेसर शीला राय ने कहा कि क्या कारण है कि भारत का कोई भी यूनिवर्सिटी दुनिया के अग्रिम विश्वविद्यालयों में नहीं आ पाता है। इसका कारण भी उन्होंने पश्चिमी शिक्षा का अंधानुकरण करने की प्रवृति को बताया। उन्होंने आधुनिक इतिहासकारों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्होंने पाश्चात्य शिक्षा के तत्वों का अंधानुकरण किया। भारतीय शिक्षा की गौरवशाली परंपरा का जिक्र करते हुए उन्होंने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का उद्धहरण दिया और कहा कि नालंदा विश्वविद्यालय में दस हजार से अधिक छात्र विश्वभर से पढ़ने आते थे जबकि वहां एक हजार से अधिक शिक्षक थे। यूनिवर्सिटी के दरबान आनेवाले नए छात्रों की परीक्षा लेने में भी सक्षम थे। इस प्रकार हमें अपने इतिहास से सीख लेकर भारतीय तरीके से देश में उच्च शिक्षा के मूल्य स्थापित करने होंगे। हमें पाठ्यक्रम में हिन्दू धर्म ग्रंथों को शामिल करना होगा। नैतिक शिक्षा को आधार बनाकर इसे आगे बढ़ाना होगा।
वहीं प्रोफेसर पीवी कृष्ण भट्ट ने कहा कि हमें अंग्रेजी के मोहजाल से बाहर आना होगा। भारत में जब नालंदा जैसा विश्वविद्यालय था उस समय पूरे संसार में कोई विश्वविद्यालय नहीं था। ऐसे में कोई विदेशी अगर भारत को ज्ञान और संस्कार देने की बात करे तो यह बेमानी कहलायेगा। भारतीय शिक्षा में नेशन स्प्रिट लाना बहुत जरुरी है।
(राजीव राजू)