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राष्ट्रवाद से हिटलर का आभास, करें राष्ट्र या राष्ट्रीय का प्रयोग : भागवत

रांची/पटना : झारखंड की राजधानी में पांच दिवसी संघ समागम में पहुंचे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि ‘राष्ट्रवाद’ जैसे शब्द से नाजी और हिटलर का आभास होता है। इसलिए इसकी जगह राष्ट्र या राष्ट्रीय शब्द का प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य भारत को विश्वगुरु बनाना है। इसके लिए आरएसएस का विस्तार राष्ट्रहित के लिए जरूरी है।

रांची में पांच दिवसीय संघ समागम

भागवत ने कहा कि हिंदू ही एक ऐसा शब्द है जो भारत को दुनिया के सामने सही तरीके से पेश करता है। भले ही देश में कई धर्म हों, लेकिन हर व्यक्ति एक शब्द से जुड़ा है जो हिंदू है। ये शब्द ही देश के कल्चर को दुनिया के सामने दर्शाता है। ऐसे में संघ देश में विस्तार के साथ-साथ हिंदुत्व के एजेंडे पर आगे बढ़ता रहेगा जो देश को जोड़ने का काम करेगा।

प्रत्येक भारतीय हिंदू, एकता असल मकसद

उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने इस वक्त ISIS, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे बड़ी चुनौती हैं। विकसित देश अपने व्यापार को हर देश में फैलाना चाहते हैं और फिर इसके जरिए अपनी शर्तों को मनवाना चाहते हैं। दुनिया के सामने जो बड़ी समस्याएं हैं, उनसे सिर्फ भारत ही निजात दिलवा सकता है ऐसे में हिंदुस्तान को दुनिया का नेतृत्व करने की सोचना चाहिए। देश की एकता ही असली ताकत है, इसका आधार अलग हो सकता है लेकिन मकसद समान ही है।

शाखा में जरूर आएं, लेकिन किसी लोभ से नहीं

संघ प्रमुख ने कहा कि हम सभी को मानवता के साथ जीना सीखना होगा, इसके लिए देश से प्यार करना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हिन्‍दुओं को संघ की शाखा में जरूर आना चाहिए। इससे उनका आत्‍मबल बढ़ेगा। वे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनेंगे। उन्‍होंने चेताया कि शाखा में टिकट पाने की लालसा से आने वाले इससे दूर रहें। यहां कोई लोभ-लालच सिद्ध नहीं होगा। किसी पद की चाह में संघ से जुड़ने वालों के लिए आरएसएस में कोई जगह नहीं है। संघ में कुछ लेने नहीं कुछ देने आएं। जवाबदेह बनें। भारत को बनाने में हिन्‍दुओं की जवाबदेही सबसे ज्‍यादा है। हिंदू अपने राष्‍ट्र के प्रति और जिम्‍मेवार बनें। भारत को विश्‍वगुरु बनाना सबका ध्‍येय होना चाहिए। उन्होंने इस संदर्भ में पर्यावरण को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि मनुष्‍य ने अपनी खुशी के लिए पर्यावरण का बहुत विनाश किया है, इसे बचाना जरूरी है।