पटना : राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड ने पटना में आज एक कार्यक्रम किया जिसमें वास्तुविद, भवन निर्माता एवं निर्माण अभियंताओं ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में सामान्य स्टील औऱ स्टैण्डर्ड स्टील के फर्क को समझया गया। कार्यक्रम के अंत मे इंटरैक्टिव सेशन भी हुआ जिसमे लोगों को व्याख्या के साथ भवन निर्माण, आर्किटेक्ट और स्टील के संबंध में जानकारी दी गई। राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड के मार्केटिंग डीजीएम बीके दास ने कहा कि स्टैण्डर्ड स्टील का इस्तेमाल होना चाहिए। अच्छे स्टील के इस्तेमाल से भवन मजबूत बनता है।उन्होंने कहा हमारा मकसद पैसा कमाना नहीं है।
बल्कि बेहतर क्वालिटी के स्टील का उत्पादन करना है।और इसके माध्यम से राष्ट्र की सेवा करना है। एनआईटी पटना के आर्किटेक्ट डिपार्टमेंट के एचओडी बीके. दास ने कहा कि भवन निर्माण में भवन का स्केलटन सबसे इम्पोर्टेन्ट होता है। और अच्छा स्केलटन बनाने के लिए अच्छी क्वालिटी की स्टील और सीमेंट की आवश्यकता होती है। इसलिए स्ट्रक्टर कोड को फॉलो करना चाहिए।उन्होंने कहा कि भवन बन तो जाता है लेकिन प्रॉब्लम तब आती है जब साइक्लोन, अर्थक्वेक या तबाही आती है।बीके दास ने कहा कि दुनिया में ऐसे भवन बने हैं जिसमें स्टील का प्रयोग नहीं किया गया है। भारत मे तंजौर का मंदिर है जिसमें स्टील और सीमेंट का प्रयोग नहीं किया गया है। मंदिर को बनाने में पत्थर का इस्तेमाल किया गया है। भारतीय वास्तुकला का उत्कृष्ट उदाहरण है ये। उन्होंने कहा कि उसी तरह भारत मे और भी कई ऐतिहासिक और धार्मिक भवन है जो बिना स्टील और सीमेंट का बना हुआ है।
(मानस द्विवेदी)
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