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राम कर्म भूमि न्यास की हुई बैठक, वृहद स्वरुप की हुई चर्चा

-बक्सर के आध्यात्मिक महत्व पर काम करेगा संगठन
बक्सर : सिद्धाश्रम जो बक्सर प्राचीन नाम है। यहां कभी भगवान राम ने शिक्षा ली थी। इतना ही नहीं युवा राम जब घर से पहली बार कहीं बाहर निकलते तो बक्सर ही आए। यहां आने के बाद जब उन्होंने गुरु विश्वामित्र के साथ पहली बार अधर्म के खिलाफ अपना शस्त्र उठाया। उनके पैर के स्पर्श से अहिल्या का उद्धार हुआ। अर्थात बक्सर ही वह धरा धाम है। जहां आकर बालक राम भगवान राम के रुप में विख्यात हुए। इस क्षेत्र की महिमा का बखान शास्त्रोंमें विद्यमान है।

लेकिन, उसका प्रसार वैश्विक मंच पर उचित ढंग से नहीं हुआ। इसी महता को लेकर वृहत स्तर पर कार्य करने की जरुरत है। इसके लिए कुछ लोगों ने मिलकर राम कर्म भूमि न्यास का गठन किया है। बुधवार को इसकी पहली बैठक बक्सर के अतिथिगृह में संपन्न हुई। जिसकी अध्यक्षता केन्द्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने की। न्यास का गठन वरिष्ठ पत्रकार व स्वत्व मासिक पत्रिका के संपादक कृष्णकांत ओझा के नेतृत्व में हुआ है। उन्होंने बताया इसका गठन दो वर्ष पहले ही हुआ था। लेकिन, कोविड की वजह से कार्य धीमा पड़ गया था। अब इसे वृहत रुप दिया जा रहा है। हालांकि हमारा संगठन अखिल भारतीय स्तर पर हो।

इसकी रुपरेखा बन रही है। लेकिन, राम कर्म भूमि न्यास का केन्द्र बक्सर ही होगा। क्योंकि आध्यात्मिक रुप से यही स्थान प्रभु श्रीराम का कर्म क्षेत्र रहा है। केन्द्रीय राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने कहा कि इस न्यास के माध्यम से बक्सर में गुरु विश्वामित्र के साथ धनुष उठाए राम व लक्षमण की प्रतिमा लगाने का लक्ष्य है। बैठक में शामिल संघ के प्रांत कार्यवाह राजेन्द्र जी, पंडित छविनाथ त्रिपाठी, अरुण मिश्रा व सदस्य अविनाश उपाध्याय ने हिस्सा लिया। संगठन को विस्तार देने के लिए आगामी बैठक दो मार्च को बैठक होगी।