रक्षाबंधन 11 या 12 अगस्त को? यहां दूर करें अपना सारा कन्फ्यूजन

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नयी दिल्ली/पटना: इस वर्ष सावन माह की पूर्णिमा 12 अगस्त शुक्रवार को है। इसी दिन हमारे देश में भाई-बहन का त्योहार रक्षाबंधन मनाया जाता है। लेकिन इस बार यह त्योहार 11 अगस्त को मनाया जाएगा या 12 को, इसे लेकर बिहार से लेकर दिल्ली तक लोगों में कन्फ्यूजन है। रक्षाबंधन मनाने को लेकर असमंजसता का मूल कारण दो दिन पूर्णिमा तिथि का मान रहने को बताया जा रहा है।

क्यों है पटना से दिल्ली तक कन्फ्यूजन

पटना सिटी के जानेमाने ज्योतिषाचार्य पंडित चक्रधर जोशी के अनुसार इसबार दो दिन सावन की पूर्णिमा का मान रहने के चलते लोगों में कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि रक्षाबंधन का त्योहार श्रावण पूर्णिमा की तिथि को मनाया जाता है। लेकिन यह पर्व तिथि की भद्रा का त्याग करके ही मनाया जा सकता है।

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ज्योतिषाचार्य से जानें कब बंधेगी राखी

हिंदू पंचांगों में पूर्णिमा को दो भागों में बांटा गया है। पहला व्रत की पूर्णिमा और दूसरा स्नान दान की पूर्णिमा। अगर सूर्याेदय चतुर्दशी तिथि में हुआ हो और सूर्याेदय के बाद ही पूर्णिमा का मान आरंभ हुआ तथा पूर्णिमा पूरे दिन और रात्रि तक रहता है तो वह व्रत की पूर्णिमा कही जाती है।

पंचांग में क्या है शुभ समय और लगन

ऋषिकेष पंचांग के अनुसार इसबार सूर्याेदय प्रातः 5.30 बजे हो रहा है। इस दिन पूर्णिमा का मान दिन में 9 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है। परंतु उसी समय 9.35 से ही पूर्णिमा के साथ भद्रा का भी प्रारंभ हो जा रहा है। उस दिन भद्रा रात्रि 8.25 तक है। हिंदू धर्म में भद्रा में सावन पूर्णिमा को वर्जित बताया गया है। फाल्गुन पूर्णिमा के संदर्भ मे भी यही मान्यता है।

भद्राकाल का रखें खास ध्यान

12 अगस्त को प्रातः सूर्याेदय 5.31 मिनट पर होगा और पूर्णिमा का मान 7 बजकर 17 मिनट तक है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि जिस तिथि में सूर्याेदय होता है, वही उस तिथि का अस्त भी कहलाता है।  इसलिए पटना सिटी के ज्योतिष चक्रधर जोशी के अनुसार इसबार पूर्णिमा उदयव्यापिनी 12 अगस्त को ही मनाना श्रेष्ठकर माना गया है। यह भी कहा गया है कि भद्रा में रक्षाबंधन हरगिज नहीं मनाना चाहिए क्योंकि भद्रा को शनि की बहन कहा गया है। ऐसे में भद्रा काल में रक्षा सूत्र नहीं बांधना चाहिए।

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