पटना : ग्रामीण विकास समिति ने आज एएन सिन्हा इंस्टिट्यूट में भूमि अधिकार एवं भूमि आधारित आजीविका पर ‘राज्य स्तरीय संवाद’ का आयोजन किया। दलितों के उत्थान के लिए काम करनेवाली विभिन सरकारी-गैर सरकारी संस्थाओं ने इसमें हिस्सा लिया। सम्मेलन में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए बिहार विद्यापीठ और बिहार सरकार में वरिष्ठ पद पर रहे विजय प्रकाश ने कहा कि आज का जो मुद्दा है वो सबसे गरीब तबके से जुड़़ा है। पिछले तीस-चालीस वर्षो से राजनीतिक इच्छाशक्ति कीे कमी के चलते भूमि का मुद्दा गौण हो गया और हमारा ध्यान सिर्फ सड़क निर्माण, पुल निर्माण की तरफ गया और इन सब के बीच भूमिहीन किसानों की तकलीफ को समझने की किसी ने भी कोशिश नहीं की। भूमिहीन किसानों के अंतर्गत मुसहर जाती के लोग भी आते हैं। आज आप कितनी भी ज़मीन की बात कर लीजिए आपकी बात सरकार नहीं मानेगी। आपको अपनी बात कहने के लिए स्ट्रेटेजी बदलनी पड़ेगी।
सबसे पहले तो आप लोगों को एक पीआईएल दर्ज करना होगा। क्योंकि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति समाप्त हो जाती है, तब कोर्ट ही न्याय करता है। उन्होंने कहा कि भूमिहीन होने की वजह से उनके एड्रेस में स्थायित्व नहीं होता। इसलिए एक परमानेंट एड्रेस होना भी बेहद जरूरी है। बिना खूंटी के गाय भी भटकती है, वैसी ही हालत मनुष्य की भी है। निश्चित पता होने पर व्यक्ति भी अनुशासित हो जाता है।
(मानस दुबे)
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