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राजगीर में विश्व शांति स्तूप के वार्षिकोत्सव का सीएम ने किया शुभारंभ

नालंदा : राजगीर में विश्व शांति स्तूप के 49 वें वार्षिकोत्सव का आज मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुभारंभ किया। समारोह में पर्यटन मंत्री प्रमोद कुमार, मंत्री श्रवण कुमार के अलावा पूर्व विदेश सचिव ललित मानसिंह भी शामिल हुए। जापान, थाईलैण्ड, म्यांमार, भारत आदि देशों के बौद्ध भिक्षु और और अनेक बौद्ध श्रद्धालु इसका हिस्सा बनने राजगीर पहुंचे। पहाड़ियों और सुरम्य जंगलों के बीच बसा राजगीर न केवल प्रसिद्ध बौद्ध तीर्थ स्थल है, बल्कि यह एक सुंदर हेल्थ रिसॉर्ट के रूप में भी लोकप्रिय है। भगवान बुद्ध की यह कर्म भूमि रही है। यहां भगवान बुद्ध न केवल कई वर्षों तक ठहरे, बल्कि कई महत्वपूर्ण उपदेश भी इस धरती पर दिए। बौद्ध धर्मावलंबियों की आस्था के केंद्र राजगीर के इस शांति स्तूप का डिजाइन विख्यात वास्तुकार उपेंद्र महारथी ने तैयार किया।

इसकी भव्यता व सुंदरता दुनिया के बाकी स्तूपों से अलग है। 144 फीट के व्यास में बने इस शांति स्तूप की ऊंचाई 125 फीट और इसे बनाने में 18 लाख रुपये तथा 18 महीने का समय लगा। इसका गुंबद 72 फीट ऊंचा है। इस स्तूप के निर्माण में दस हजार से अधिक श्रमिकों ने रात—दिन काम किया। बिहार स्थित प्रतिष्ठित बौद्ध तीर्थस्थलों में राजगीर के गृद्धकूट पहाड़ी का स्थान सर्वोपरि है। इसी पहाड़ी के पास रत्नागिरी की चोटी पर यह शांति स्तूप है, जहां से यह 49 वर्षों से लगातार दुनिया को विश्वबंधुत्व, अहिंसा, करुणा और मैत्री का संदेश दे रहा है।
जापान के निप्पोनजन म्योहोजी के तत्कालीन अध्यक्ष महास्थवीर भिक्षु नीचीदात्सु फुजीई गुरुजी जी ने इस शांति स्तूप का निर्माण कराया है। तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्ण ने 6 मार्च 1965 को इसकी आधारशिला रखी थी। उसी समय से इस स्थान पर बौद्ध मतावलंबियो की हलचल तेजी से बढ़ने लगी थी। बौद्ध धर्मावलंबी यहां आकर शांति और सुकून का अनुभव करते हैं।
भारत– जापान मैत्री का प्रतीक इस शांति स्तूप का उदृाटन तत्कालीन राष्ट्रपति वेंकटगिरी ने किया था। तब से इसका वार्षिकोत्सव अंतर्राष्ट्रीय समारोह के रूप में आयोजित किया जाता है। विश्व शांति स्तूप तक जाने के लिए आकाशीय रज्जू मार्ग का निर्माण कराया गया है।

(कुमुद रंजन सिंह)