पटना : ग्रामीण संस्कृति से शहरी जीवन शैली दूर होती जा रही है। ग्रमीण संस्कृति का परिचय किताबों तक सिमट कर रह गया है। ग्रामीण संस्कृति एवं शिल्प के संरक्षण के लिए गांधी मैदान में ग्रामीण शिल्प बाजार लगाया गया है। ग्रामीण परिदृश्य को सजीव करता यह ग्रामीण मेला गांव—गलियों की खूबसूरती को बखूबी दर्शा रहा है। बच्चे—बूढ़े सभी इस मेले का आनंद ले रहे हैं।
इस मेले का मुख्य उद्देश्य है बच्चों और युवाओं को ग्रामीण जीवन शैली से अवगत कराना। जांता, ढेकी, ओखली, दही मथनी, बोरसी, पाग और शिलवट के नमूने तरह-तरह के आकार और कीमत पर मिल रहे हैं। यह नमूने बच्चों को अपनी तरफ आकर्षित कर रहे हैं। मेले में सिर्फ नमूने ही नहीें, बल्कि घर सजाने की वस्तुएं भी बिक रही हैं। मेले में आने वाले लोग घर सजाने के लिये लकड़ी की कलाकृतियां भी खरीद रहे हैं।
मेले में आई महिलाएं आन—स्पाॅट लाह की चूड़ियां बनवा रही हैं। यह चूड़ियां आग पर लाह को गला कर कारीगर बना रहे हैं। महिलाओं को पसंद की चूड़ियां 100 से 200 की कीमत पर मिल रही हैं। ग्रामीण परिवेश का पूरा नजारा गांधी मैदान के ग्रामीण शिल्प मेले में नजर आ रहा है। जूट का बना बैग लोगों को खूब भा रहा है। पटनावासी इस मेले को एक वीकेंड के तौर पर भी आजमा रहे हैं।
(बीना कुमारी सिंह)