राजभवन में उच्च शिक्षा पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन

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पटना : राजभवन में 4 फरवरी को बिहार में उच्च शिक्षा का प्रारूप विषय पर शिक्षाविदों का दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन शुरू हुआ। बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन बिहार की उच्च शिक्षा की बदहाली पर कई बार चिंता व्यक्त कर चुके हैं। आज से शुरू यह आयोजन उच्च शिक्षा की स्थिति में सुधाार के लिए राज्यपाल की विशेष पहल माना जा रहा है।
राज्यपाल लालजी टंडन ने कहा कि बिहार मे उच्च शिक्षा की गौरवशाली परंपरा रही है। लेकिन वर्तमान में उच्च शिक्षण संस्थानों में एक बालक से अपेक्षित ज्ञान का भी अभाव दिखता है। सारे देश में स्चछता का अभियान चल रहा है। गांव-गांव में शौचालय निर्माण और उसके प्रयोग की बात को व्यवहार में उतारने का आंदोलन चल रहा है। लेकिन, बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में शौचालय नहीं होने या होने के बाद भी उसका प्रयोग नहीं होने की बात सामने आयी है। शिक्षण संस्थानों के परिसर ज्ञान के अनुकूल हों ताकि एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए अगली पीढ़ी तैयार हो सके। इतना संतोष हे कि इस दिशा में हमारे कदम उठने लगे हैं।
राजभवन के राजेंद्र सभागार में आयोजित इस सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में नैक के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चैहान, केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा.एन श्रवण कुमार के साथ ही बिहार के शिक्षामंत्री व जिम्मेदार अधिकारियों की उपस्थिति यह बता रहा था कि बिहार के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति श्री लालजी टंडन का यहां की शिक्षा में सुधार का यह प्रयोग आगे बढ़ेगा। राजभवन में आयोजित इस सम्मेलन में बिहार के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियां, प्रतिकुलपतियों, कुलसचिवों के साथ ही बिहार के सभी अंगीभूत कालेजों के प्राचार्यों को भी बुलाया गया है। इस आयोजन का मुख्य उद्येश्य बिहार के शैक्षणिक संस्थानों में बदलते वैश्विक परिवेश के अनुकूल शिक्षा के लिए उचित माहौल बनाना है।
उद्घाटन सत्र में राज्यपाल के प्रधान सचिव विवेक कुमार सिंह ने कहा कि हम यहां विचार करने के लिए एकत्रित हुए हैं कि नालंदा जैसे विश्वविद्यालय से गौरवशाली रहे बिहार के उच्च शिक्षण संस्थानों में अब जीवंतता क्यों नहीं है। उच्च संस्थानों के परिसर में उस तरंग का अनुभव नहीं होता, जिससे विकास के लिए ऊर्जा और प्रकाश मिलता है। वहीं केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा. एन श्रवण कुमार ने कहा कि हमारे शिक्षण संस्थान शोध व नवाचार के केेंद्र बनें। उस शोध और नवाचर के मूल में स्थानीयता, संवेदनशीलता और ग्रामीण भारत पर केंद्रीत हो। इस काम में संसाधन की कमी नहीं होगी। वहीं राज्यपाल के सलाहकार शिक्षाविद् डा.आरसी सोवती ने कहा कि कम गुणवत्ता वाली शिक्षा भारत के विकास में बाधक है। सम्मेलन की मेजबानी कर रहे पटना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरबी सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया।

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