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राजद की नजरों में जदयू के प्रवक्ता जाहिल

पटना : राष्ट्रीय जनता दल के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने जदयू प्रवक्ताओं को ‘जाहिलों की जमात ‘ बताते हुए कहा है कि वे क्या बोलते हैं इसे वे खुद भी नहीं समझते। राजद नेता ने कहा कि बिहार सरकार के एक मंत्री नीरज कुमार द्वारा नेता प्रतिपक्ष से ट्रेवल हिस्ट्री की माँग की गई है। जबकि राज्य सरकार द्वारा सर्वे करने की जिम्मेवारी आशा कार्यकर्ताओं को दिया गया है। वे प्रत्येक व्यक्ति के घर पर जाकर दिये गये प्रश्नावली के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। अन्य राज्यों में भी इस प्रकार के सर्वे की जिम्मेवारी ‘ आशा ‘ कार्यकर्ताओं को दी जाती है। पर बिहार देश का पहला और एकमात्र राज्य है जहाँ इस प्रकार सर्वे करने की जिम्मेवारी राज्य सरकार के एक कबिना मंत्री को दिया गया है ।

राजद नेता ने कहा कि अनुकंपा पर जदयू के प्रवक्ता बने निखिल मंडल ने नेता प्रतिपक्ष से जानना चाहा है कि वे दिल्ली में क्यों हैं बिहार क्यों नहीं आ रहे हैं । इन महाज्ञानी प्रवक्ता जी को यह भी नहीं पता कि अभी देश में ‘ लाॅकडाउन ‘ है जिसमें किसी प्रकार का मूवमेंट बन्द है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री जी ने तो बिहार से बाहर फंसे लोगों को बिहार लौटने के सवाल को मर्यादा का उल्लंघन बता चुके हैं । हालांकि भाजपा विधायक अनिल सिंह ने तो अपने लड़की और उसके सहेलियों को कोटा से लाकर मुख्यमंत्री जी के मर्यादा की धज्जियां उड़ा चुके हैं ।

राजद नेता ने कहा कि भाजपा प्रवक्ता निखिल आनन्द दूसरे को होमवर्क करने की सलाह देते हैं और खुद उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जी के फर्जी आंकड़ों को चुराकर प्रेस को जारी करते हैं । सुशील मोदी जी को तो जहाँ पहुँचना था नीतीश जी की कृपा से वहाँ पहुँच गए । पर निखिल आनन्द जी को तो कम से कम जमीनी हकीकत देखकर बात करना चाहिए । फर्जी और झूठे आंकड़े पेश करने का काम केवल सुशील मोदी जी के हीं जिम्मे रहने दीजिए।

राजद नेता ने उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी जी द्वारा ‘ कोरोना वायरस ‘ के बारे में दिये गये सारे दावे और आंकड़े को फर्जी करार देते हुए कहा है कि सर्वेक्षण के नाम पर केवल खानापूरी हो रही है । सर्वे करने वाले स्वास्थ्य कर्मी के पास न तो उनके सुरक्षा के लिए किट दिये गये हैं और न वायरस से संक्रमित की प्रारंभिक पहचान के लिए थर्मामीटर । दिल्ली स्थित बिहार भवन के कन्ट्रोल रूम का फोन लगता नहीं है और दावा किया जा रहा है कि 11,21,055 लोगों की समस्याओं का समाधान कर दिया गया । इस दावे में भी कोई सच्चाई नहीं है कि दिल्ली में प्रतिदिन 20 हजार लोगों को खाना खिलाया जा रहा है । सरकार द्वारा दावा किया गया है कि ‘ बिहार फाउंडेशन ‘ की ओर से देश के 12 बड़े शहरों में 50 से अधिक राहत केन्द्र चलाये जा रहे हैं पर वह कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा है ।

राजद प्रवक्ता ने कहा है कि भाजपा और जदयू के जो नेता पटना में एसी रूम में बैठकर विपक्षी नेताओं से सवाल कर रहे हैं उनमें यदि थोड़ी भी नैतिकता और शर्म है तो राज्य के अन्दर भी सरकार के स्तर पर चलाये रहे 150 आपदा राहत केन्द्रों का जाकर मुआयना करना चाहिए और जमीनी हकीकत को देखना चाहिए ।