भूमिहार ब्राह्मण एकता फाउंडेशन के तरफ से पटना के गांधी मैदान में एक रैली का आयोजन किया गया था। जिसमें यह कहा रहा था कि इस रैली में 5 लाख से अधिक लोग जुटेंगे। लेकिन, हालत ऐसी रही कि जाति की ठेकेदारी करने वाले इस संगठन ने पूरे भूमिहार और ब्राह्मण जाति की फजीहत करा दी। इस रैली में मुश्किल से 5 हजार लोग भी नहीं जुट पाए। भीड़ नहीं जुटा पाने को लेकर आशुतोष कुमार ने कहा कि प्रशासन के द्वारा बेवजह बाधा उत्पन्न किया जा रहा है , गाँधी सेतु को जाम कर दिया गया है , कोईलवर पुल पर बहुत सी गाड़ियाँ फंसी हुई है।
लेकिन, हकीकत यह है कि जितने भी पोस्टर और बैनर लगाए गए थे, उसमें भूमिहार और ब्राह्मण के हितों की बात नगण्य थी। पोस्टर पर अगर कुछ चमक रहा था तो भूमिहार ब्राह्मण एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष आशुतोष कुमार का चेहरा। जिससे यह साफ़ प्रतीत होता है कि भूमिहारों का पोस्टर बॉय बनने की चाहत रखने वाले आशुतोष कुमार को देश के भूमिहार और ब्राह्मण ने सिरे से नकार दिया है। क्योंकि 2019 के आम चुनाव में मुंगेर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार नीलम देवी के समर्थन में इस संगठन का नाम आया था जिसके कारण लोग यह कहने लगे थे कि इस संगठन के लोगों का झुकाव कांग्रेस के तरफ है।
हालांकि रैली में आये तमाम लोगों ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को निशाने पर रखा। नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए लोगों ने कहा कि मुख्यमंत्री सिर्फ वोट लेकर यूज करते हैं ,हमलोगों को सिर्फ वोट समझा जाता है वोटबैंक नहीं , इसलिए आने वाले 2020 के विधानसभा चुनाव में सुशासन की सरकार को जवाब दिया जाएगा।